शनिवार, 30 नवंबर 2013

नागपुरी कविता - जोन देश कर - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - जोन देश कर
अशोक "प्रवृद्ध"
जोन देश कर सरकार इसन बदगुमान होवेला ।
ऊ देश कर इज्जत लहूलुहान होवेला।।
जोन देश कर किसान आत्महत्या कईर के मरयनां ।
ऊ देश कर रोटी भी बेईमान होवेला।।
जोन देश कर राजनीति पलेला जाइत (जाति) धरम पर ।
ऊ देश कर जनता सदा कुरबान होवेला।।
जोन देश कर सिपाही , होवैनां महरूम  इज्जत से ।
ऊ देश कर सरहद सदा सुनसान होवेला ।।
जोन देश कर हर  आदमी अनशन में बैठयनां ।
ऊ देश कर सत्ता बनल शैतान होवेला ।।

शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

नागपुरी कविता -लंकाधिपति रावण अगर संपादक होतक


नागपुरी कविता -लंकाधिपति रावण अगर संपादक होतक

लंकाधिपति रावण अगर संपादक होतक
खबर छपुवायेक ले विभीषण छाती पीट - पीट के कान्दतक।

उप सम्पादक मारीच होतक तस्कर प्रमुख प्रभारी
सूर्पणखा नवजवान छोड़ा मनक होतक शील भंग अधिकारी।

सतर्कता मनक खबर कुंभकरण के जातक
संपादक पुत्र मेघनाथ कर पौबारा होय जातक।

ताड़का जी के जे जे लेखक सदचरित्र बतलातयं
मौका मिलते हें  रावण से सम्मानित होय जातयं।

सही खबर छईप जातक होले खेद प्रकाशन आतक
कैसे छपलक,  के छपुवालक, जाँच आयोग बैठातक।

राजा खरदूषण दलाल मन से मिलके दलाली खातक
विज्ञापन कर शुद्ध आय से रावण टाइम्स चमकातक

समुचा मीडिया तब प्रशस्ति में रटन्तु तोता बनतयं
लंकाधिपति रावण अगर संपादक होतक ।