रविवार, 15 दिसंबर 2013

समलैंगिकता पर एगो नागपुरी कविता अशोक "प्रवृद्ध"

समलैंगिकता पर एगो नागपुरी कविता
अशोक "प्रवृद्ध"

इ आईज कर डिमांड हके रउरे के नी बुझई
आब नर नर संगे, मादा मादा संगे जई

सुप्रीम कोर्ट दे रहे एगो अइसन फैसला
सेकर विरोध में खड़ा होय गेलयं खाङ्ग्रेसी साला
गे मन कर  मन बढल है लेस्बियन कर हौसला
भइया संगे मूंछ वाली भउजी घर आवी
इ आईज कर डिमांड हके  रउरे के नी बुझई

खतम भे गेलक आब धारा तीन सौ सतहत्तर
छूटा घुमबयं आब समलैंगिक सभत्तर
रीना आब बईन जई लीना कर लुगाई
इ आईज कर डिमांड हके रउररे के नी बुझई

पछिमे से मिलहेबअइसन इंसपिरेशन
बेसे होवी आब ओतना नी बढी पोपुलेशन
रोपत (बोअत) रहबयं बीज लेकिन कहियो फूल नी फुलाई
इ आज कर डिमांड हके रउरे के नी बुझई

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

नागपुरी कविता - रूपया कहाँ गिरथे ?- अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - रूपया कहाँ गिरथे ?
अशोक "प्रवृद्ध"

रूपया कहाँ गिरथे ?
के कहेला -
रूपया गिरथे
गिरथे तो आदमी
गरीबी कर रेखा से नीचे
ऊपर जाथे कीमत , दाम
नीचे आवथे ई रेखा !
रूपया कहाँ गिरथे ?
गिरथे तो साख ई देश कर
सिरमौर बनेक कर ख्वाब देखतेहें देखते
सर  उठायेक लाईक भी नी रहली ।
रूपया नखे गिरत मोर भाई
गिरथे ई देश कर राजनीति
स्कूल में जहर खायके मरल बच्चा मन पर राजनीति
उत्तराँचल कर त्रासदी पर राजनीति
बिहार कर रेल से पिसल आदमी मन पर राजनीति
बलात्कार पर राजनीति
हत्यारा मन पर राजनीति
चीत्कार पर राजनीति
हाहाकार पर राजनीति
हाय रे ई देश कर राजनीति ।
गिरथे मनोबल देश कर
गिरथे  स्वाभिमान देश कर
पाकिस्तान से पडोसी धमकाथयं
चीन से सीमा पर गुर्रात हयं
सब कुछ गिरथे लेकिन ऊ काले नी गिरथे
काले नखे गिरत- जेकर कारण से सब कुछ गिरथेब
नीं रह्लक ई देश के दरकार जेकर
ऊ गिरत काले नखे सरकार  ईकर ।

नागपुरी कविता - ईश्वर राउरेहें दया करू , राउर बिन हामर के है ? - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - ईश्वर राउरेहें दया करू , राउर बिन हामर के है ?
अशोक "प्रवृद्ध"

ईश्वर राउरेहें दया करू , राउर बिन हामर के है ?
दुर्बलता दीनता हरू , राउर बिन हामर के है ??
माता राउरेहें , राउरेहें पिता,बन्धु राउरेहें , राउरेहें सखा ।
राउरेहें हामर आसरा , राउर बिन हामर के है ??
जग के बनाय वाला राउरे , दुखड़ा मिटाय वाला राउरे।
बिगड़ी बनाय वाला राउरे , राउर बिन हामर के है ? ?
राउर दया कर सामने कोनो नखे हमके खबर ।
जऊ तो जऊ हम कने , राउर बिन हामर के है ??
राउर भजन राउरेहें सजन राउरेहें कर धुन राउरे लगन ।
राउरे शरण हामर है केवल सखा राउर बिन हामर के है ??
राउरेहें कर हम धरीला ध्यान राउरेहें से पावीला प्राण हम।
हईर लेऊ तिमिर अज्ञान के  राउर बिन हामर के है ??





शनिवार, 7 दिसंबर 2013

नागपुरी कविता - बे - चारा लालू बेचारा लल्लू -अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - बे - चारा लालू
बेचारा लल्लू
अशोक "प्रवृद्ध"

विश्वास नी होवेल
इसन भी होवी
भारत कर नेता भी
आब अन्दर होवी

कतई भी धूरत होवोक
कतई भी होवोक चालू
चाहे मिश्रा  जग्गू होवोक
चाहे यादव लालू

अपराध कहाँ रहे ऊ
बस खाय रहे चारा
चोरी ऊ भी गौ माता से
लेऊ  फंईस गेलक बेचारा

चुपचाप सईह गेलक ऊ
भोली भाली माता गैय्या
चोरी करेक वाला
ग्वाले रहे भैया

दिन उलटी पईड़ गेलक तब
लालू चुनाव हारलक
सरकारी चमचा बईनके तब
मारल - मारल फिरलक

फिर तो कांग्रेस भी
झाईड़ लेलक पल्लू
लालूजी से तब
ऊ बईन गेलक लल्लू

सर्कार कर सहारे तो
ई  देश भी है बेचारा
न्यायालये है आब तो
बस एगो सहारा
बे - चारा   लालू
बेचारा लल्लू  ।