रविवार, 2 नवंबर 2014

नागपुरी शायरी - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी शायरी
- अशोक "प्रवृद्ध"

आब ईके राऊरे मन जे कहू ! ईके मोयं छोटे बेरा नवजवान परिया में लिख रहों , अईझ लाज - बीज छोईड़के सबकर सामने लानेक कर हिम्मत जुटात हों !!


एतना नादान हईस सेकरो में दिल लगईसला
एतना नाजुक हईस काले पत्थर से सिर टकरईसला

सामने आवेला ऊ तो छुईप जईसला
एतना पियासल हईस कि पानी से घबरईसला

आरजी पाईये गले तोयं एगो चन्दा कर
तोयं भी राईत में एकला विरह गीत गावीसला

आईग लाईगहे तोर दिल कर सनमखाना में
तोयं दिया नीयर खामोश नजर आवीसला