स्त्री शक्ति कर आदर-
सम्मान कर उत्सव नवरात्रि
-अशोक “प्रवृद्ध”
स्त्री के उकर
स्वाभिमान, शक्ति कर इयाइद दियाएक आऊर समाज के स्त्री शक्ति कर सम्मान करेक ले
प्रेरित करेक कर खातिर स्त्री शक्ति कर आदर- सम्मान कर परब नवरात्रि उत्सव जय
अम्बा, जय भगवती, जय माता दी आदि कर उद्घोष आऊर मंत्रोच्चारण कर साथ पिछला बिफे दिन से शुरू है, आऊर
नवरात्रि में देवी पूजन कर ई सिलसिला आवे वाला बिफे दिन तक चली। स्त्री के हमरे कर
भारतीय संस्कृति में पूरना ज़माना से हे विशेष आदर- सम्मान मिलल है, आऊर नवरात्रि
काल में माय दुर्गा के जगत कर पालन कर्त्ता, विश्व कल्याण कर प्रणेता आऊर दुष्ट
आतयायी मनक संहार करेक वाला अधिष्ठात्री देवी माईन के विशेष पूजा- अर्चना करल
जाएला। ई नवरात्रि काल में देवी दुर्गा कर नौ अलग- अलग स्वरूप कर पूजा –उपासना करल
जाएला। एहे नियर विद्या, बुद्धि, ज्ञान कर देवी सरस्वती आऊर श्री, यश, वैभव, धन कर
देवी लक्ष्मी कर भी पूजा –अर्चना कर विधान है। नवरात्रि एक बरिस में चाईर बार पौष, चैत (चैत्र), आषाढ़ आऊर आश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाल जाएला। चैत्र आऊर
आश्विन कर महीना में प्रतिपदा से नवमी तक देवी पूजन कर साथे साथ दसवां दिन क्रमशः
श्रीरामनवमी आऊर दशहरा मनाल जाएला। नवरात्रि कर
नौ राईत नौ में तीन देवी, महालक्ष्मी, महासरस्वती आऊर महाकाली कर नौ स्वरूप कर पूजा- अर्चा करेक कर परिपाटी है
। देवी कर ई नौ स्वरूप कर नाव (नाम) क्रमशः शैलपुत्री (पहाड़ कर बेटी), ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा (चाँद नियर चमकेक वाली),
कूष्माण्डा (सम्पूर्ण जगत के गोड़ (पैर) में धारण करे वाली), स्कंदमाता (देव सेनापति स्वामी कार्तिकेय कर माता) कात्यायनी (कात्यायन
आश्रम में जन्म लेवे वाली) कालरात्रि (काल कर नाश करेक वाली), महागौरी (चरका, सफेद रंग वाली माता), सिद्धिदात्री
(सर्व सिद्धि प्रदायिनी) है । नवरात्रि काल में देवी से सम्बन्धित तीर्थ स्थल कर
यात्रा कर भी प्रचलन है । हमरे मनक नागपुरिया क्षेत्र में तो ई नवरात्रि काल में
सब गाँव कर पूरब में विराजमान देवी मंडप में भी विधि- विधान से देवी कर नौ स्वरूप
कर पूजा- उपासना करेक कर बहुते पुरना परम्परा कायम है।
हमरे मनक सब धर्म
ग्रन्थ में स्त्री के देवी शक्ति कर रूप में पूजनीय मानल जाय हे, आऊर नारी कर
सामाजिक महत्व के स्वीकार करते हुए कहल जाहे कि “जहाँ स्त्री कर पूजा होवेला, हुआं
देवता मनक वास होवेला” । वेद, पुराण सगरे हें नारी कर आदर -सम्मान इसने हे नखे करल
जाय, बल्कि ई सच हके कि स्त्री इसन शक्ति है, जे घनघोर अन्धरिया राईत में भी आपन
मधुर मुस्कान से इंजोर कईर सकेला। राजा- प्रजा, ज्ञानी - अज्ञानी सब के जनम देवे
वाला नारी कर सम्मान होखे चाहि। पूरने हे जमाना से हमरे कर संस्कृति में स्त्री के
शक्ति स्वरूपा, घर कर आत्मा आऊर प्राण मानल जाहे। भगवान स्त्री के एगो जननी कर रूप
में सम्मान दे के ई धरती में भेईज हे। माय कर रूप में तो स्त्री ममता कर मन्दिरे
हके। ई माये हके जे आपन छऊआ कर लालन- पालन आऊर अस्तित्व बनाएक ले आपन इच्छा के
माईर देवेला, आऊर आपन सन्तान में संस्कार कर बीज रोपते हुए उकर में दया, करुणा,
प्रेम आदि गुण मनके जनम देवेला। बेटी, बहिन, पुतौह, पत्नी आऊर माय जईसन अलग- अलग
रूप में स्त्री सही में एगो परिवार कर आन, बान, शान होवेला। एगो गुणवान बेटी कर
रूप में ऊ अपन माता-पिता कर नाम के रोशन तो करबे हें करेला, शादी कर बाद आपन माय-
बाप कर घर के छोईड़ के ऊ दूसर कर घर में जाय के हुआं भी आपन त्याग आऊर बलिदान से सब
कर दिल जीतेक कर कोशिश करेला। नारी शक्ति पूजन काल नवरात्रि कर नौ दिन में
मातृशक्ति कर नौ रूप कर पूजन, स्मरण करल जाएला, नौ ठो कुंवारी मैयां छऊआ के भोजन
में आमंत्रित कईर के उनकर पूजा कईर चरण धोई के स्वागत करेक बाद तिलक लगाय के
दक्षिणा आऊर उपहार दे के भेजेक कर परिपाटी है।
नवरात्रि कर ई नौ दिन
तो स्त्री मन के बहुत आदर, बहुते सम्मान मिलेला, लेकिन बाकी कर सालो भईर ई नारी
शक्ति विभिन्न मोर्चा में लड़ते हें दिसेना। वेद, पुराण धार्मिक ग्रन्थ मन में तो
भले हें स्त्री के देवता कर स्थान देल जाहे, लेकिन आईझ कर समाज में नारी कर स्थिति
बेस नी रह्लक। घरे- बाहरे सगरे हें सब जगन कोनो नी कोनो नियर ऊके शोषण कर शिकार
होवेक पड़त हे। चाहे ऊ पेट भीतरे हें छऊआ मारेक कर कन्या भ्रूण हत्या कर मामला होवोक,
चाहे समाज में महिला कर प्रति लगातार बढ़ल जात अपराध कर मामला होवोक, सब जगन स्थिति
बद से बदतर सोचेक वाला बनते जात हे। हालांकि हमरे कर देश में नारी मनक वीरगाथा कर
कहनी कर भरमार है, आऊर आईझ भी हमरे मन माता सीता, सती सावित्री, तारा, कुंती, गार्गी,
महारानी लक्ष्मीबाई, रानी जीजाबाई, पन्ना धाय जैसन महान वीरांगना, विदुषी स्त्री मन कर व्यक्तित्व
से, त्याग आऊर साहस कर कहनी से प्रेरणा लेते ही, फिर भी ई विदेशी मैकाले शिक्षा कर
प्रभाव से देश में साहस आऊर वीरता, देशभक्ति आऊर राष्ट्रप्रेम में कमी स्पष्ट दिसे
लाइग हे। सच कहब होले, कोनो भी देश कर भविष्य नारिये में टिकल आहे, काले कि माये
है, जे आपन छऊआ के पाईल- पोईस के ऊके संस्कारवान बनाएला, आऊर फिर ओहे छऊआ बाद में
देश कर कर्णधार बनेंला। इकरे से समझल जाय सकेला कि नारी कर भूमिका राष्ट्र कर
निर्माण में, देश कर विकास में केतना महत्वपूर्ण है। आईझ कर समाज कर दृष्टि से भी
देखल से स्त्री अपन प्रयास, प्रयत्न आऊर कोशिश से कहों पाछे नखयं, सब मामला में
आगे हैं। बस जरूरत है ऊ मन के सही मौका देवेक कर, बढ़िया अवसर प्रदान करेक कर।
नवरात्रि परब मनाएक आऊर मैयां छऊआ पूजेक कर औचित्य तबे पूरा होय सकेला, जब हमरे
नारी कर गुण कर सालों भईर ऐ हे नियर सम्मान देवब, स्त्री के दोसर (दोयम) दर्जा कर
नागरिक नी समईझ के उकर गुण के हमेशा महत्व देब आऊर ऊ मन के आगे बढेक ले हर सम्भव
अवसर प्रदान करब। ई नवरात्रि में आऊ, हमरे संकल्प लेविला कि नारी कर प्रति सम्मान
राखेक ले, देवेक ले आपन घर -परिवार से हें इकर शुरुआत करीला। जय स्त्री शक्ति । जय
बीचे खोईर नागपुरी। जोहार नागपुरिया ।