नागपुरी कविता - जोन देश कर
अशोक "प्रवृद्ध"
जोन देश कर सरकार इसन बदगुमान होवेला ।
ऊ देश कर इज्जत लहूलुहान होवेला।।
जोन देश कर किसान आत्महत्या कईर के मरयनां ।
ऊ देश कर रोटी भी बेईमान होवेला।।
जोन देश कर राजनीति पलेला जाइत (जाति) धरम पर ।
ऊ देश कर जनता सदा कुरबान होवेला।।
जोन देश कर सिपाही , होवैनां महरूम इज्जत से ।
ऊ देश कर सरहद सदा सुनसान होवेला ।।
जोन देश कर हर आदमी अनशन में बैठयनां ।
ऊ देश कर सत्ता बनल शैतान होवेला ।।
अशोक "प्रवृद्ध"
जोन देश कर सरकार इसन बदगुमान होवेला ।
ऊ देश कर इज्जत लहूलुहान होवेला।।
जोन देश कर किसान आत्महत्या कईर के मरयनां ।
ऊ देश कर रोटी भी बेईमान होवेला।।
जोन देश कर राजनीति पलेला जाइत (जाति) धरम पर ।
ऊ देश कर जनता सदा कुरबान होवेला।।
जोन देश कर सिपाही , होवैनां महरूम इज्जत से ।
ऊ देश कर सरहद सदा सुनसान होवेला ।।
जोन देश कर हर आदमी अनशन में बैठयनां ।
ऊ देश कर सत्ता बनल शैतान होवेला ।।