बुधवार, 22 मई 2019

हे नायक

हे नायक

सादर नमस्कार, प्रणाम आऊर गणतंत्रीय बधाई आपने मन के ।

आईझ हमरे कर देश में सम्पन्न सत्रहवीं लोकसभा चुनाव कर मतगणना होवथे। इकर बाद बहुमत प्राप्त दल कर नेता के देश कर प्रधानमन्त्री पद कर शपथ लेवेक ले राष्ट्रपति महोदय द्वारा नेवता देवल जई यानी कि देश कर नायक चुनल जई। नायक -प्रधानमन्त्री मोदी जे के चौकीदार कहयंना । हमरे के देश कर अपन नायक से बहुत उम्मीद है, आशा है, आकांक्षा है । चुनल जाय वाला नायक से हमरे के बहुत कुछ उम्मीद है। उकर एक झलक -


हे नायक !


राऊरे राष्ट्र कर शरणरूप आऊर सुखदाता हई । इसन प्रयत्न करू कि राक्षस प्रकम्पित होय उठयं, शत्रु प्रकम्पित होय जाएँ। हे सेना ! राऊरे राष्ट्रभूमि कर त्वचा हकी , राष्ट्रभूमि राऊरे के जाने । हे नायक! राऊरे पहाड़ हई, बादल हई, वज्र हई, ईंधन हई, पाषाण हई, विशाल मस्तिष्क वाला हई। राष्ट्रभूमि कर त्वचारूप सेना राऊरे के जाने।


हे राजन !


हमरे राऊरे के आपन नेता चुईन ही, राष्ट्र कर नायक बनाय ही, काले कि राऊरे प्रजा के शरण आऊर सुख देवेक में समर्थ ही। जब तक राऊरे कर प्रतिद्वन्द्वी राक्षसजन आऊर शत्रु हैं, तब्र तक राष्ट्र सुखी नहीं होय सकेला । निर्दय, हत्यारा, कुटिल, स्वार्थी आदमी मन राक्षस कहलायंना , जे मन से सज्जन पुरुष के अपन रक्षा करेक पड़ेला , जे एकान्त पायके घात करयंना या फिर रात्रि काल में अपन गतिविधि करयंना , चलायंना । शत्रु ऊ हकैं जे राऊरे के पददलित कईरके राऊरे कर राईज यानी कि राज्य के हथियाएक चाहयंना। ऊ शत्रु कुछ व्यक्ति भी होय सकेना आऊर एगो बहुत बड़का संगठन या फिर शत्रु-राष्ट्र भी होय सकेना। राऊरे ऊ आततायी, आतंकवादी राक्षस और शत्रु मन कर वश में भी नी होई सकीला ।


उत्साह कर संचय कईरके ही श्रीरामभक्त हनुमान सीता कर खोज में समुद्र पार कईरके लङ्का पहुँईच जाय रहयं आऊर लक्ष्मण के पुनर्जीवित करेक ले गन्धमादन पर्वत से संजीवनी बूटी ले आय रहयं। राऊरे देवयज्ञ कर अग्नि के भी अपन अन्दर धारण करू। परमात्मदेव कर पूजा कर अग्नि, विद्वान कर सेवा-सत्कार कर अग्नि आऊर अग्निहोत्र कर अग्नि ही देवयज्ञ कर अग्नि हके । राऊरे चिन्ताग्नि के विदा कईरके उकर स्थान पर परमेश्वर कर चिन्तन कर, विद्वतजन कर सत्कार कर अतिथियज्ञ रचऊ आऊर सायं-प्रात: अग्निहोत्र कईरके वायुमण्डल के शुद्ध आऊर सुगन्धित करू।



राऊरे के आत्मीय नमस्कार हार्दिक स्वागत आऊर मांगलिक बधाई सहित निवेदन है कि आपने से हमरे के बहुत उम्मीद है, आशा है ,आकांक्षा है उके पूरा करू। परमात्मा राऊरे के स्वस्थ सबल दीर्घायु आऊर समस्त प्रकार से प्रसन्न राखयं आऊर देश के सर्वांगीण विकास कर पथ पर ले जाएक कर आऊर विधर्मी , विदेशी शत्रु दलन करेक कर शक्ति प्रदान करयं आऊर सन्मार्ग में चलेक कर प्रेरणा देवयं ।

मंगलवार, 21 मई 2019

आर्य कोनो जातिसूचक नाँव ना लागे अपितु गुण कर स्वभाव कर सूचक हके


आर्य कोनो जातिसूचक नाँव ना लागे अपितु गुण कर स्वभाव कर सूचक हके




आईझ काईल आर्य शब्द बहुत चर्चा में आहे । आर्य शब्द कर अर्थ श्रेष्ठ मानव होवेला आऊर श्रेष्ठ गुण से युक्त वेद के मानेक वाला आदमी मन के आर्य कहल जाहे। ई मन भारत कर मूल निवासी रहयं। सृष्टि कर आरम्भ में एहेआर्य मन ई जम्बू दीप स्थित आर्यावर्त के वैदिक ज्ञान-विज्ञान से युक्त श्रेष्ठ गुण कर धारण करेक वाला आर्ये मन बसाय रहयं। ई ऊ समय रहे जब संसार में तिब्बत कर अलावा आऊर कहीं कोई मनुष्य निवास नी करत रहयं , संसार कर सम्पूर्ण भूमि मनुष्य से रहित खाली पड़ल रहे। इकर से पूर्व भारत में वनवासी, आदिवासी या फिर द्राविड़ नाँव कर कोई जाति निवास नी करत रहयं, इकर कोई प्रश्न ही नहीं रहे काले कि ई सृष्टि कर आदि काल रहे ।


ई बात भी ध्यान देवेक लायक है कि सृष्टि कर आदि काल आऊर उकर बाद कर समय में आर्य, दास तथा दस्यु आदि केऊ मुनष्य कर जाईत यानी कि जाति नि रहयं अऊर ना ही , ई मनकर बीच में होवल कोनो लड़ाई या फिर युद्ध मनक वर्णन वेद में नखे । वेद में आर्य आदि शब्द गुणवाचक आहयं, जातिवाचक नहीं। जाति तो संसार कर सभी मनुष्य कर एक है आऊर ई मनुष्य जाति कर स्त्री आऊर पुरूष दुई यानी कि दो उपजाति कईह सकीला। जे आईझ कर पाश्चात्य लेखक ऋग्वेद में आदिवासी के चपटी नाक आऊर करिया यानी कि काली त्वचा वाला बतायंना, ऊ असत्य, निराधार आऊर अप्रमाणिक है। ऊ मन ई भी कहयंना कि आर्य मन बाकी मनक बस्ती (पुर) कर विध्वंस कईर देत रहयं, आऊर कभी-कभी आर्य मनक आर्यम कर साथ भी युद्ध होय जात रहे। ऊ मनक ई सारा बात वेद आऊर सत्यान्वेषण कर विरुद्ध होवेक से काल्पनिक आऊर प्रमाणहीन हैं।

आर्य आऊर दस्यु जातिसूचक नहीं अपितु गुण-कर्म-स्वभाव कर सूचक हके। वेद में भी आर्य आऊर दस्यु शब्द के गुण-कर्म-स्वभाव कर सूचक बताल जाहे। वेद में उपलब्ध ई मन्त्र कर प्रमाण से सब विदेशी आऊर देशी अल्पज्ञ विद्वान मन कर आर्य विषयक भ्रान्ति आऊर मिथ्या मान्यता मनक खण्डन होय जाएला। ईश्वर द्वारा प्रदत्त ऋग्वेद कर मन्त्र 1/51/8 में आर्य आऊर दस्यु के जातिसूचक नहीं बल्कि गुण-कर्म-स्वभाव का सूचक बताल जाहे-


वि जानीह्यार्यान् ये च दस्यवो बर्हिष्मते रन्ध्या शासदव्रतान्।
शाकी भव यजमानस्य चोदिता विश्वेत्ता ते सधमादेषु चाकन।।
-ऋग्वेद 1/51/8


अर्थात- ई संसार में आर्य अर्थात श्रेष्ठ आऊर दस्यु अर्थात विनाशकारी ई दुई प्रकार कर स्वभाव वाला स्त्री आऊर पुरुष हैं। हे परमैश्वर्यवान् इन्द्र (परमात्मा) ! राऊरे बर्हिष्मान् अर्थात संसार कर परोपकार रूप यज्ञ में रत आर्य मनक सहायता ले (परहित विरोधी, स्वार्थ साधक आऊर हिंसक) दस्यु मन कर नाश करू । हमरे के शक्ति देऊ कि हमरे अव्रती (व्रतहीन, सामाजिक नियम आऊर वेदविहित ईश्वराज्ञा भंग करेक वाला) अर्थात अनार्य दुष्ट पुरुष मन पर शासन करू। ऊ मन कदापि हमरे पर शासन ना करयं। हे इन्द्र (ऐश्वर्यो कर स्वामी ईश्वर) ! हमरे सदा ही राऊरे कर स्तुति करेक कर कामना करीला। राऊरे आर्य सद्विचार कर प्रेरक बनू, जेकर से हमरे अनार्यत्व के त्याईग के आर्य अर्थात श्रेष्ठ बनू ।

 ई मन्त्र में ‘‘आर्यशब्द कर प्रयोग परोपकार में संलग्न आर्य अर्थात् श्रेष्ठ मनुष्योचित आचरण वाला आदमी मन ले प्रयुक्त होय हे। कोईयो भी समुदाय में अच्छा आऊर बुरा तथा श्रेष्ठ आऊर कदाचार करेक वाला आदमी होबे करयंना । मन्त्र में ईश्वर से प्रार्थना करल जाहे कि हमरे मन आर्य विचार कर प्रेरक बनू आऊर अनार्यत्व यानी कि बुराई आऊर दुगुर्ण के त्याईग देऊ। से ले ई बात में कन्हु कोई संशय नखे कि आर्य जातिसूचक शब्द नहीं अपितु मनुष्यों में श्रेष्ठ गुण कर प्रधानता कर सूचक है।

रविवार, 12 मई 2019

सीता नवमी कर बधाई

सीता नवमी  कर बधाई 


सीता नवमी कर शुभ पावन अवसर पर माता सीता के नित्यप्रति कर सादर नमन सहित आपने मन के सीता नवमी कर बधाई आऊर मांगलिक शुभ कामना ।

शक्तिस्वरूपा, ममतामयी, राक्षसनाशिनी, पतिव्रता आदि कई नाँव आऊर नांवे नीयर गुण से सुसज्जित रामायण कर प्रमुख पात्रा आऊर श्रीरामपत्नी माता सीता के जानकी भी कहल जायेला । उनकर पिता कर नाँव राजा जनक रहे आऊर हकीकतन सीता जनक कर गोद लेल पुत्री रहयं । मिथिला कर राजा जनक के यज्ञ करेक ले खेत जोतेक बेरा धरती से एगो कन्या प्रकट होते हुए प्राप्त होय रहे। जेके राजा जनक गोद ले लेलयं आऊर सीता नाँव राइख देलयं । जनक दुलारी होवेक से जानकी, मिथिलावासी होवेक से मिथिलेश कुमारी नाँव से भी उनके जानल जायेला । भूमि से प्रकट होवेक कर कारण इनकर एगो नाँव भूमिजा भी है। चूँकि राजा जनक कर कोई संतान नी रहयं से ले ऊ आऊर उनकर पत्नी सुनैना सीता के गोद लेलयं आऊर अपन बेटी कर रूप में पालन- पोषण करलयं । कालान्तर में एहे सीता कर व्याह भगवान श्रीराम से सम्पन्न होलक। रामायण आऊर पौराणिक ग्रन्थ तथा लोक कथा –लोकगीत मन में माता सीता कर चरित्र कर बहुत गुणगान करल जाहे आऊर आईझ भी सीता भारतीय नारी में सर्वोतम आदर्श मानल जायेंना ।
सीता अपन सभी रूप में, जैसे कि बाल्यकाल , विवाहित जीवन में पुत्री, राजकुमारी, पत्नी , पुत्रबधू , राजरानी, माता के रूप आऊर वन गमन काल तथा अंत में पति त्याग पश्चात वन्य जीवन अर्थात सम्पूर्ण जीवन में सभी काल में आदर्श व्यवहार कर परिचायक रईह हैं। से हे ले माता सीता कर जन्म दिवस अर्थात पृथ्वी पर अवतरण तिथि वैशाख शुक्ल नवमी के सीता अथवा जानकी जयंती कर रूप में सम्पूर्ण देश में बहुते उत्साह से मनाल जायेला। विवाहित स्त्री मन व्रत राईख के पति कर दीर्घायु व स्वस्थता कर कामना करयंना। ई तिथि के श्रद्धालु भक्त माता सीता कर निमित्त व्रत राखयंना आऊर उनकर पूजन करयंना। लोक मान्यता अनुसार जे भी ई दिन व्रत राखयंना आऊर श्रीराम सहित सीता कर विधि-विधान से पूजन करयंना, उके पृथ्वी दान कर फल, सोलह महान दान कर फल तथा सभी तीर्थ कर दर्शन कर फल स्वतः प्राप्त होय जायेला । एहे कारण है कि ई दिन व्रत करेक कर विशेष महत्त्व माना जायेला। लेकिन आईझ भी माता सीता कर जन्म तिथि अर्थात प्राकट्य दिवस के लेके देश में मत भिन्नता है। लेकिन ई विभिन्न पौराणिक ग्रन्थ मन में सीता प्राकट्य दिवस के ले के लिखल तिथि भिन्नता कर कारण उत्पन्न होहे ।
आमतौर में सीता जयंती वैशाख शुक्ल नवमी के मनाल जायेला, लेकिन भारत कर कुछ भाग में इके फाल्गुन कृष्ण अष्टमी के मनाल जायेला। रामायण कर अनुसार ऊ वैशाख में अवतरित होय रहयं, लेकिन निर्णयसिन्धु कल्पतरु नामक ग्रन्थ कर अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष कर अष्टमी के। एहे कारण दुईयो तिथि उनकर जयंती खातिर प्रचलित है। विशेषकर बिहार और नेपाल में ई मान्यता है कि फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष कर नवमी तिथि के सीता जी कर जन्म होय रहे। एहे ले ई दिन के सीता नवमी अथवा सीता जयंती, जानकी जयंती कर रूप में बड़ा ही उत्साह से मनाल जायेला ।

मंगलवार, 7 मई 2019

वाह रे मिडिया कर बहिन भाई


मोयं हिंदी मीडिया कर सभी मुर्धन्य आऊर पत्रकार मन से पूछेक चाहोंना कि संसार कर सबसे बड़, सबसे ज्यादा बिकवाला आऊर सबसे अधिक विस्तृत कोनो भी भाषा कर अखबार से ज्यादा ई हिंदी कर अखबार मुख्य धारा कर राजनेतिक खबर काले नी छापयं ना ? अंग्रजी अख़बार मने ही सारा स्टिंग ओपरेशन करयंना । अंग्रेजी अखबार ही सरकार कर आलोचना करेला। सारा विवादित आऊर प्रमुख पत्रकार तथा विशेष आदमी मन अंग्रेजी अख़बार में ही लिखयंना आऊर हिंदी कर अखबार हमरे के कभी मुख्य समाचार में दिल्ली में होवल चार हत्या, भोपाल में होलक सड़क दुर्घटना आऊर पटना में होलक बारिश कर खबर पढात रहयंना।
खैर टीवी कर तो मोयं बाते नी करेक चाहोंना ।
अंग्रेजी कर अख़बार भारत सरकार कर सभी नीति निर्धारण आऊर सरकार कर संसद में होवल या फिर केबनेट में होवल मुख्य बात पर कई पन्ना छाईप देवेला। अइसन में मन ई सवाल उठेला कि ई अंग्रेजी मीडिया ही देश कर गंभीर मुद्दा पर चर्चा काले करेला? काले ९८% हिन्दुस्तानी अखबार कर पाठक गंभीर बात के जानेक से वंचित रहे।


ई हिंदी मीडिया कर आदमी मन अपन प्रोफेशन से खिलवाड़ आऊर देश कर साथ देशद्रोह नीयर काम करथयं । हिंदुस्तान कर लोकतंत्र कर ताकत कर दम भरे वाल ई अख़बार वाला मन बड़ी चालाकी से ओहे लोकतंत्र कर रक्षक आऊर वोटर के महत्वपूर्ण नीति मनक जानकारी नी देवेक कर महापाप करथयं आऊर उकर से वोट डलवाथयं प्याज कर मुद्दा पर, खरबुज कर बीज पर, सड़क कर स्पीड ब्रेकर पर, नाली कर बंद होवेक पर, रोडवेज कर बस कर किराया बढेक पर आऊर संगी- साथी मन बाद में हमरे हें के आऊर विदेशी मन के भी बतायं ना कि ई दफे हिंदुस्तान कर वोटर बड़का जज्बा आऊर जागरूकता से प्रधानमंत्री कर विनवेश नीति/ विदेश नीति/ आऊर आदि आदि वगैरह वगैरह पर स्पष्ट बहुमत देलक । अरे बाही ऊ वोटर के तो पते नखे कि कौन चिडिया कर नीति कर बात करत हीस ? उके तो आपने अँधेरा में राईखा उके तो अपन इंडिया गेट कर बारिश से भीगल जवान जोड़ा छोड़ा - छोड़ी आऊर कार्टून कोने में ही व्यस्त राईखा अऊर आब अपन स्वार्थ ले उकर मन चाहां विश्लेषण कर लाईग हां मतलब कि गधे कर गलती और धोबी कर धुनाई। वाह रे मिडिया कर बहिन भाई !!

बेईमान आदमी भी अपन मुनीम ईमानदार चाहेला

राऊरे मन व्यवहार में भी देईख होवब कि आदमी केतना भी बेईमान होवोक , बदमाश होवोक , लुटेरा होवोक , डाकू होवोक लेकिन ऊ कभी नी चाहेला कि मोर (उकर) साथ दूसर कोई बदमाशी करे। बेईमान आदमी भी अपन मुनीम ईमानदार चाहेला । बदमाश आदमी भी अपन कोषाध्यक्ष यानि कि साथी, संगी ईमानदार चाहेला । ईमानदार आदमी मन तो ईमानदार आदमी के प्यार करबे करयंना, लेकिन बेईमान आदमी मन के भी ईमानदार आदमी कर आवश्यकता होवेला। यानी कि दैवी गुण आत्मा कर निकटवर्ती हैं सेले दैवी गुणवाला के प्रायः सब लोग प्यार करयंना। आसुरी स्वभाव कर आदमी भी दैवी गुणवाला कर प्रति भीतर से झुकल रहयंना, खाली बाहरे से फुफकारते रहयंना । श्रीरामजी कर प्रति रावण भीतर से झुकल रहे, लेकिन बाहरे से फुफकारते - फुफकारते मईर गेलक । कंस श्रीकृष्ण कर प्रति भीतर से प्रभावित रहे, लेकिन बाहरे से दुष्टता करत रहे । एहे नीयर जेकर में दैवीय गुण रहेला उकर कुटुम्बी, पड़ोसी मन बाहरे से चाहे उकर हंसी उड़ायं, दिल्लगी करयं , उपहास करयं, लेकिन भीतरे में उकर से प्रभावित होते जायंना । सेले आदमी मन के चाही कि अगर आसुरी स्वभाव कर दस-बीस गो आदमी मन उकर मजाक उड़ायं, उकर विरोध करयं , उकर निन्दा करयं या फिर कोई आरोप-लांछन लगायं तो आदमी के चिंतित नहीं होवेक चाही। आदमी के कभी भयभीत नहीं होवेक चाही। उके सदा इयाईद राखेक चाही कि –
इल्जाम लगाएक वाला इल्जाम लगालैं लाख मगर ।
तोर सौगात समईझके मोयं मुड़ी में उठाले जाथों । । 
मनुष्य कर जीवन में भी भीतरे दया होवेक चाही । लेकिन दया कर मतलब ई ना लागे कि सदा मूर्ख बनल रहू। कभी दुष्टजन कर प्रति फुंफकार भी 

परशुराम एगो वंश परम्परा कर नाँव

आईझ बैशाख शुक्ल तृतीया कर पावन दिन हके। आईझ कर दिन के अक्षय तृतीया कहयंना। अक्षय तृतीया कर दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखुवाले कराल जाय सकेला। ई दिन सोना, चांदी आऊर विभिन्न धातु कर वस्तु किनेक कर परम्परा है। मान्यता है कि त्रेता युग कर आरंभ एहे पावन तिथि से होय रहे। मान्यता कर अनुसार इस तिथि को उपवास रखेक, स्नान दान करेक से अनंत फल कर प्राप्ति होवेला। व्रती के कभी भी कोनो चीज़ कर अभाव नी होवेला, उकर भंडार हमेशा भरले रहेला। ई व्रत कर फल कभी कम नी होवे वाला, न घटेक वाला, कभी नष्ट नी होवे वाला होवेक कर कारण ही इके अक्षय तृतीया कहल जाएला। वैशाख मास कर शुक्ल पक्ष कर तृतीया तिथि के भगवान परशुराम जयंती कर जन्मदिन अर्थात परशुराम जयंती कर रूप में भी मनाल जाएला। भगवान विष्णु कर षष्टम अवतार परशुराम कर अतिरिक्त विष्णु कर अवतार नर व नारायण कर अवतरित होवेक कर मान्यता भी ई दिन से जुड़ल है।
पौराणिक मान्यतानुसार त्रेता युग में विष्णु कर षष्ठम अवतार भगवान परशुराम कर जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र कर वरदान स्वरूप पत्नी रेणुका कर गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया के होय रहे। उनके भगवान विष्णु कर आवेशावतार मानल जाएला । पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार कर अनन्तर उनके राम , जमदग्नि कर पुत्र होवेक कर कारण जामदग्नय आऊर शिव कर द्वारा प्रदत्त परशु धारण करल रहेक कर कारण ऊ परशुराम कहलालयं।
भगवान परशुराम कर नाँव आते ही उनकर द्वारा ई पृथ्वी के इक्कीस बार क्षत्रियों से मुक्त कराएक, सीता स्वयम्बर कर बाद श्रीराम कर अनुज लक्ष्मण से गर्मागर्म विवाद , महाभारत काल में काशीराज कर बेटी- अम्बा, अम्बिका, अम्बालिका के भीष्म पितामह द्वारा अपहरण कईर के लानेक कर बाद विचित्रवीर्य से विवाह करेक से इंकार करे वाली अम्बा से भीष्म कर व्याह कराएक ले भीष्म से युद्ध करेक कर बात आदमी मनक स्मृति में शीघ्र ही कौंधे लागेला।ई एगो आश्चर्यजनक तथ्य है कि सहस्त्राब्दियों वर्ष पूर्व सतयुग यानी कि कृतयुग कर अंत में भगवान परशुराम उत्तर आऊर पूर्व कर राजा मनक एगो महासंघ बनायके आईझ कर गुजरात कर हैहय राजा मनक विरुद्ध एगो महासंग्राम के विजयी नेतृत्व प्रदान कईर रहयं। एहे कारण है कि परशुराम कर नेतृत्व में हैहय मनक विरुद्ध सत्ययुग कर अंत में होअल ई महासंग्राम कर विजेता महानायक परशुराम सर्व लोकख्यात होय गेलयं। आऊर स्थिति ई होय गेलक कि वशिष्ठ आऊर विश्वामित्र मनक वंश परम्परा नीयर परशुराम जों भार्गव वंश कर रहयं, एकर पूरा एगो वंश परम्परा बईन गेलक, जेकर सब महापुरुष स्वाभाविक रूप से भार्गव यानी कि परशुराम कहालयं । आईझ स्थिति ई होय जाहे कि वशिष्ठ आऊर विश्वामित्र नीयर सब भार्गव यानी कि सब के सब परशुराम भी एके होय जाहैं ।
पौराणिक ग्रंथ मनक अध्ययन से ई सत्य कर सत्यापन होवेला कि परशुराम कई युग तक विभिन्न युगपरिवर्तनकारी घटना मनक साक्षी आऊर स्वयं कारण यानी कि कारक बनलयं। हैहय मन से लड़े वाला परशुराम सतयुग में होलयं। हैहय मन से होवल ई महासंग्राम में परशुराम हैहय राजा मन के एक कर बाद एक इक्कीस धांव पराजित करलयं। एहे बेरा से यानी कि ई घटना कर कारण से हें भारतीय स्मृति में ई बात बैईठ गेलक कि परशुराम भारत भूमि के इक्कीस धांव क्षत्रिय से रहित कईर देलयं। विद्वान मन प्रायः ई सवाल उठायं ना कि का क्षत्रिय मनक इक्कीस धांव विनाश कोई एगो योद्धा कईर सकेला? का ई संभव है? इकर बाद त्रेतायुग में एगो परशुराम रहयं जे शिव धनुष तोड़े वाला श्रीराम कर साथ विवाद करलयं , उकर शौर्य के चुनौती देलयं आऊर आऊर राम से अपन मद-दलन करवाय के लौटलयं । इकर बाद द्वापर में एगो परशुराम होलयं , जे अम्बा से भीष्म पितामह कर व्याह कराएक ले भीष्म से युद्ध करलयं। इकार से ई स्पष्ट होय जाएला कि परशुराम सतयुग , त्रेतायुग आऊरद्वापर युग तीन युग तक जीवित रहलयं । पौराणिक मान्यतानुसार ऊ आईझ भी जीवित हैं आऊर कल्कि अवतार में विष्णु कर ऊ अवतार कर गुरु पथप्रदर्शक बनबयं। परशुराम के सप्तचिरंजीवी आऊर अष्टचिरंजीवी मन में भी शामिल करल जाहे। विद्वान मनक काहेक है कि विविध युग में उपस्थित सभी परशुराम एके गो व्यक्ति नी होय सकेना बल्कि ईपरशुराम कर वंशज मनक वंश परम्परा कर विभिन्न युग में जन्म लेवे वाला कई व्यक्ति हकयं ।

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

आरक्षण नी मामा में काना मामा हके ।

आरक्षण नी मामा में काना मामा हके ।

आरक्षण नी मामा में काना मामा हके । आब हमरे कर झारखण्डे कर बात के देखू । करीब दू बरीस पहिले कर बात हके। झारखण्ड राईज कर मशहूर मेडिकल कोलेज रिम्स रांची में नाव लिखायेक ले आरक्षण कर श्रेणी में आवे वाला अनुसूचित जनजाति कर छऊवा मन ले निर्धारित सबसे कम माने कि न्यूनतम प्राप्तांक लाने वाला विद्यार्थी भी नी मिलेक चलते कोलेज कर करीब सौ गो सीट में नाव लिखाय वाला भी केऊ नी मिललयं । सेले कोलेज कर सीट के भरेक ले जब माननीय झारखण्ड हाई कोर्ट द्वारा सरकार से पूछल गेलक तो सरकार के कोर्ट से प्रार्थना करेक पड़लक कि रिम्स में नाव लिखायेक ले निर्धारित सबसे कम अंक कर सीमा के आऊरे कम करेक कर आदेश देवल जाय ताकि आरक्षण में आवेक वाला श्रेणी कर छऊवा मन के मेडिकल कोलेज में नाव लिखाल जाय सकी  आऊर देश कर स्वास्थ्य सेवा के आऊर भी बेस आऊर कारगर बनाएक कर प्रति कदम उठालजाय सके । हालांकि ई अलग बात है कि माननीय झारखण्ड हाई कोर्ट द्वारा निर्धारित अंक सीमा में आऊरे कम करेक कर ई मामले में कोनो स्पष्ट आदेश नी देल गेलक जेकर से न्यायलय के प्रति उम्मीद जागल है कि भारतीय न्याय प्रणाली कर रहते नेता मन जबरई आरक्षण के देश में लाईद के राष्ट्रविरोधी काम करेक नी पारबयं । जानिला मेडिकल में नाव लिखायेक ले झारखण्ड में आरक्षित वर्ग कर छउवा मन ले कम से कम कतना नंबर निर्धारित है ? नी जानिला तो जाईन लेऊ । मात्र ३३ (तैंतीस) प्रतिशत । आब राऊरेहें कहू आरक्षण नी मामा में काना मामा हके कि नहीं ?