सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

नागपुरिया कहनी - वार्ड पार्षद कर चुनाव - अशोक "प्रवृद्ध"

वार्ड पार्षद कर चुनाव
अशोक "प्रवृद्ध"

ग्राम पंचायत कर चुनाव होवे वाला रहे। रेखा कर भाई गणपति सिंह ग्राम पंचायत कर चुनाव में वार्ड पार्षद पद लगीन (खातिर) चुनाव में खड़ा होय रहयं। इच्छा तो मन में बहुत साल से रहे कि गाँव - पंचायत कर मुखिया चाहे सरपंच बईन के गाँव में आपन बाप - दादा वाला रूतबा के कायम करू , मगर सरकार कर द्वारा भूरिया कमिटी कर सिफारिश के लागू कई र देवल जाल से क्षेत्र में पड़े वाला सब कर सब एकल पद माने मुखिया, प्रमुख आउर जिला परिषद कर अध्यक्ष कर पद अनुसूचित जनजाति कर सदस्य मन ले आरक्षित होय जाय रहे । आउर तो आउर सरकार कर आरक्षण नीति कर चलते पंचायत कर पंचायत समिति कर सदस्य कर चुनाव में भी ऊ खड़ा होवेक लाईक नी रहलयं । सेले मन में बहुत आस रहे पार्षद बनेक कर । पार्षद बनल बाद हेने - ओने जोईड़ - जाईड़ के साईंत उपमुखिया बनेक कर जोगाड़ होय सकेला। से हे सोईच के घर कर सभे सगा - सम्बन्धी मन चुनाव प्रचार में जुटल रह्यं ।  आइज क्षेत्र में पड़ेक वाला हरिजन मोहल्ला कर दौरा करेक रहे ।
हरिजन बस्ती में घुसतेहें रेखा कर नाक- भौं चढ़े लागलक । गणपति सिंह देखलयं तो बहिन के धमकालयं ,' देख रेखा ! मोके इ मन से वोट लेवेक है।"
'ठीक है, दा (भइयाा) !' कइहके रेखा सामान्य होवेक कर कोशिश करे लागलक । सब केउ फूलमतिया कर घर में घुसलयं । फूलमतिया सबकर ले चाह (चाय) मंगुवालक ।' का दा (भैया) ! ईकर घरक चाह (चाय) ? मोर तो जीव (जी) ख़राब होवथे । ' रेखा आपन  भाई कर कान में फुसफुसालाक ।'ओह रेखा ! तोयं समूचे (पूरा) खेल के बिगड़ाय देबे । मोके वार्ड पार्षद बईन जाएक दे । फिर तोयं फूलमतिया कर चाह (चाय) कर तीता - कडुवा (कसैला) स्वाद के भी भूईल जाबे । "  गणपति सिंह धीरे सुन (से) कहलयं ।
'अच्छा दा (भैया) । आब समईझ गेलों । " कईहके रेखा चाह (चाय) कर चुस्की लेवे लागलक।

रचनाकार - अशोक "प्रवृद्ध"

1 टिप्पणी:

  1. बड़ा बेस। प्रवृद्ध जी आपने तो ग्राम पंचायत चुनाव कर बहना से राजनीति, गाँव और छुआछूत कर बारे में एके साथ बड़ा सुन्दर कहनी कईह डेली। लागल रहू। हमरे कर नागपुरी में लिखेक - पढेक वाला मनक कमी के आपने हें नीयर आदमी पूरा कईर सकेना।

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