नागपुरी कविता - आलक होली
अशोक "प्रवृद्ध"
आलक होली
हवा उड़ाते
घर -घर रंग -
गुलाल कर आलक होली |
लाज -शरम से
होलक सब दिशा लाल
कि आलक होली |
साँस -साँस में
गीत समालक ,
नैन कर इशारे से
हवा बुलायेल ,
नदी गावेल फाग
कबीरा देवेल ताल
कि आलक होली |
मौसम में है
भरल आवारापन ,
खिलल धूप में है
बिना छूअल कुंवारापन ,
रंग अबीर से है
खाली गाँव -देहाईत कर चौपाल
कि आलक होली |
आयना से भी
हंसी -ठिठोली ,
मउध (शहद) नीयर होय गेलक
सबकर बोली ,
इन्द्रधनुष नीयर लागथे
सहिया कर गाल
कि आलक होली |
गाँव - देहाईत ,
टोला - मुहल्ला , गली -गली
बच्चा- बूढा
आउर जवान ,
टोला - मुहल्ला , गली -गली
बच्चा- बूढा
आउर जवान ,
फेंकथयं "प्रवृद्ध" आउर
मछली कर उपरे जाल
कि आलक होली |
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