शनिवार, 4 जनवरी 2014

नागपुरी कविता - आसमान में है भगवान परवरदिगार , हमरे सब पर है ऊकर नज़र - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता -
आसमान में है भगवान परवरदिगार , हमरे सब पर है ऊकर नज़र
अशोक "प्रवृद्ध"

जे आऊर मनके देवेना उपदेश , आपने कर शकल देईख लेवों तनी ।
धर्म कर नाव (नाम) में  फैलायनां , सग्रे धर्मान्धता कर जहर ।।

आसमान में है भगवान परवरदिगार , हमरे सब पर है ऊकर नज़र,
छुईप सकेला नहीं पाप-कर्म, छुईप सकेला हत्या अगर ।।

दुष्कर्म, काला-बाज़ार, हत्या, धोखा-धड़ी आऊर देशद्रोह,
कब-कईसन मिल जाई सज़ा, हमरे के  होवी नी खबर ।।

उक्र लाठी में आवाज नखे , समय पर चोट करेला ,
सहायेला नहीं सुई कर चुभल , कैसे झेलब ऊकर कहर ।।

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