मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021

स्त्री शक्ति कर आदर- सम्मान कर उत्सव नवरात्रि -अशोक “प्रवृद्ध”

 

        स्त्री शक्ति कर आदर- सम्मान कर उत्सव नवरात्रि

                                 -अशोक “प्रवृद्ध”

 


 


 

स्त्री के उकर स्वाभिमान, शक्ति कर इयाइद दियाएक आऊर समाज के स्त्री शक्ति कर सम्मान करेक ले प्रेरित करेक कर खातिर स्त्री शक्ति कर आदर- सम्मान कर परब नवरात्रि उत्सव जय अम्बा, जय भगवती, जय माता दी आदि कर उद्घोष आऊर मंत्रोच्चारण  कर साथ पिछला बिफे दिन से शुरू है, आऊर नवरात्रि में देवी पूजन कर ई सिलसिला आवे वाला बिफे दिन तक चली। स्त्री के हमरे कर भारतीय संस्कृति में पूरना ज़माना से हे विशेष आदर- सम्मान मिलल है, आऊर नवरात्रि काल में माय दुर्गा के जगत कर पालन कर्त्ता, विश्व कल्याण कर प्रणेता आऊर दुष्ट आतयायी मनक संहार करेक वाला अधिष्ठात्री देवी माईन के विशेष पूजा- अर्चना करल जाएला। ई नवरात्रि काल में देवी दुर्गा कर नौ अलग- अलग स्वरूप कर पूजा –उपासना करल जाएला। एहे नियर विद्या, बुद्धि, ज्ञान कर देवी सरस्वती आऊर श्री, यश, वैभव, धन कर देवी लक्ष्मी कर भी पूजा –अर्चना कर विधान है। नवरात्रि एक बरिस में चाईर बार पौष, चैत (चैत्र), आषाढ़ आऊर आश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाल जाएला। चैत्र आऊर आश्विन कर महीना में प्रतिपदा से नवमी तक देवी पूजन कर साथे साथ दसवां दिन क्रमशः श्रीरामनवमी आऊर दशहरा मनाल जाएला। नवरात्रि कर नौ राईत नौ में तीन देवी, महालक्ष्मी, महासरस्वती आऊर महाकाली कर नौ स्वरूप कर पूजा- अर्चा करेक कर परिपाटी है । देवी कर ई नौ स्वरूप कर नाव (नाम) क्रमशः शैलपुत्री (पहाड़ कर बेटी), ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा (चाँद नियर चमकेक वाली), कूष्माण्डा (सम्पूर्ण जगत के गोड़ (पैर) में धारण करे वाली), स्कंदमाता (देव सेनापति स्वामी कार्तिकेय कर माता) कात्यायनी (कात्यायन आश्रम में जन्म लेवे वाली) कालरात्रि (काल कर नाश करेक वाली), महागौरी (चरका, सफेद रंग वाली माता), सिद्धिदात्री (सर्व सिद्धि प्रदायिनी) है । नवरात्रि काल में देवी से सम्बन्धित तीर्थ स्थल कर यात्रा कर भी प्रचलन है । हमरे मनक नागपुरिया क्षेत्र में तो ई नवरात्रि काल में सब गाँव कर पूरब में विराजमान देवी मंडप में भी विधि- विधान से देवी कर नौ स्वरूप कर पूजा- उपासना करेक कर बहुते पुरना परम्परा कायम है।

 

 


हमरे मनक सब धर्म ग्रन्थ में स्त्री के देवी शक्ति कर रूप में पूजनीय मानल जाय हे, आऊर नारी कर सामाजिक महत्व के स्वीकार करते हुए कहल जाहे कि “जहाँ स्त्री कर पूजा होवेला, हुआं देवता मनक वास होवेला” । वेद, पुराण सगरे हें नारी कर आदर -सम्मान इसने हे नखे करल जाय, बल्कि ई सच हके कि स्त्री इसन शक्ति है, जे घनघोर अन्धरिया राईत में भी आपन मधुर मुस्कान से इंजोर कईर सकेला। राजा- प्रजा, ज्ञानी - अज्ञानी सब के जनम देवे वाला नारी कर सम्मान होखे चाहि। पूरने हे जमाना से हमरे कर संस्कृति में स्त्री के शक्ति स्वरूपा, घर कर आत्मा आऊर प्राण मानल जाहे। भगवान स्त्री के एगो जननी कर रूप में सम्मान दे के ई धरती में भेईज हे। माय कर रूप में तो स्त्री ममता कर मन्दिरे हके। ई माये हके जे आपन छऊआ कर लालन- पालन आऊर अस्तित्व बनाएक ले आपन इच्छा के माईर देवेला, आऊर आपन सन्तान में संस्कार कर बीज रोपते हुए उकर में दया, करुणा, प्रेम आदि गुण मनके जनम देवेला। बेटी, बहिन, पुतौह, पत्नी आऊर माय जईसन अलग- अलग रूप में स्त्री सही में एगो परिवार कर आन, बान, शान होवेला। एगो गुणवान बेटी कर रूप में ऊ अपन माता-पिता कर नाम के रोशन तो करबे हें करेला, शादी कर बाद आपन माय- बाप कर घर के छोईड़ के ऊ दूसर कर घर में जाय के हुआं भी आपन त्याग आऊर बलिदान से सब कर दिल जीतेक कर कोशिश करेला। नारी शक्ति पूजन काल नवरात्रि कर नौ दिन में मातृशक्ति कर नौ रूप कर पूजन, स्मरण करल जाएला, नौ ठो कुंवारी मैयां छऊआ के भोजन में आमंत्रित कईर के उनकर पूजा कईर चरण धोई के स्वागत करेक बाद तिलक लगाय के दक्षिणा आऊर उपहार दे के भेजेक कर परिपाटी है।

 

नवरात्रि कर ई नौ दिन तो स्त्री मन के बहुत आदर, बहुते सम्मान मिलेला, लेकिन बाकी कर सालो भईर ई नारी शक्ति विभिन्न मोर्चा में लड़ते हें दिसेना। वेद, पुराण धार्मिक ग्रन्थ मन में तो भले हें स्त्री के देवता कर स्थान देल जाहे, लेकिन आईझ कर समाज में नारी कर स्थिति बेस नी रह्लक। घरे- बाहरे सगरे हें सब जगन कोनो नी कोनो नियर ऊके शोषण कर शिकार होवेक पड़त हे। चाहे ऊ पेट भीतरे हें छऊआ मारेक कर कन्या भ्रूण हत्या कर मामला होवोक, चाहे समाज में महिला कर प्रति लगातार बढ़ल जात अपराध कर मामला होवोक, सब जगन स्थिति बद से बदतर सोचेक वाला बनते जात हे। हालांकि हमरे कर देश में नारी मनक वीरगाथा कर कहनी कर भरमार है, आऊर आईझ भी हमरे मन माता सीता, सती सावित्री, तारा, कुंती, गार्गी, महारानी लक्ष्मीबाई, रानी जीजाबाई, पन्ना धाय जैसन  महान वीरांगना, विदुषी स्त्री मन कर व्यक्तित्व से, त्याग आऊर साहस कर कहनी से प्रेरणा लेते ही, फिर भी ई विदेशी मैकाले शिक्षा कर प्रभाव से देश में साहस आऊर वीरता, देशभक्ति आऊर राष्ट्रप्रेम में कमी स्पष्ट दिसे लाइग हे। सच कहब होले, कोनो भी देश कर भविष्य नारिये में टिकल आहे, काले कि माये है, जे आपन छऊआ के पाईल- पोईस के ऊके संस्कारवान बनाएला, आऊर फिर ओहे छऊआ बाद में देश कर कर्णधार बनेंला। इकरे से समझल जाय सकेला कि नारी कर भूमिका राष्ट्र कर निर्माण में, देश कर विकास में केतना महत्वपूर्ण है। आईझ कर समाज कर दृष्टि से भी देखल से स्त्री अपन प्रयास, प्रयत्न आऊर कोशिश से कहों पाछे नखयं, सब मामला में आगे हैं। बस जरूरत है ऊ मन के सही मौका देवेक कर, बढ़िया अवसर प्रदान करेक कर। नवरात्रि परब मनाएक आऊर मैयां छऊआ पूजेक कर औचित्य तबे पूरा होय सकेला, जब हमरे नारी कर गुण कर सालों भईर ऐ हे नियर सम्मान देवब, स्त्री के दोसर (दोयम) दर्जा कर नागरिक नी समईझ के उकर गुण के हमेशा महत्व देब आऊर ऊ मन के आगे बढेक ले हर सम्भव अवसर प्रदान करब। ई नवरात्रि में आऊ, हमरे संकल्प लेविला कि नारी कर प्रति सम्मान राखेक ले, देवेक ले आपन घर -परिवार से हें इकर शुरुआत करीला। जय स्त्री शक्ति । जय बीचे खोईर नागपुरी। जोहार नागपुरिया । 

 

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

चमच आऊर चमचई - अशोक "प्रवृद्ध"


चमच आऊर चमचई
-अशोक "प्रवृद्ध"

सबकर चमचा हियाँ

सब कुछ चमचईए में
जे कुछ होवेल हियाँ
चमचई बिना कुछ नहीं
होय सकेला हियाँ
लाईक भी नि मिली
कमेंट्स तो जाय देऊ
चमचई कर ग्रुप है
ग्रुप में रहब होले
चमचई करब होले
लाईक कर वर्षा होई
कमेंट्स भी करबयं
बड़ाई भी करबयं
ग्रुप नखे कोनो नखे
केऊ नहीं पूछबयं
चमचई करे वाला
तो जाय देऊ
लाईक करे वाला
भी नी मिलबयं
कमेंट्स कर तो
अकाले पईड़ जई
देखू जाईन लेऊ
चमचई कर बड़ा
महिमा हियाँ


चमच चमच करते रहू, करू चमचई दिन रात।
चमचई से बढके नहीं, दुसर कुछ करामात ।।









शनिवार, 25 मई 2019

काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह – ई पांच पिशाच रुधिर पीयेंना।



कामक्रोधमदलोभमोह – ई पांच पिशाच रुधिर पीयेंना।



काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह ई पांच पिशाच रुधिर पीयेंना।

अथर्ववेद कर मंत्र – 8/4/22 में उपदेश देल जाए हे-
 उलूकयातुमुत शुशलूकयातुम्, जहि श्वयातुमुत कोकयातुम।
सुपर्णयातुमुत गृध्रयातुम, दृषदेव प्रमशा रक्षइन्द्र।।
- अथर्ववेद 8/4/22

ई वेद मंत्र में उल्लू कर चाल अज्ञानता अर्थात मोह, भेड़िया कर चाल, क्रोध, हंस कर चाल, अहंकार, गिद्ध कर चाल (लोभ) तथा चिड़ा कर चाल (काम) रूपी पांच शत्रु के जितेक कर आह्वान करल जाहे।

वास्तव में ई पांचों राक्षस मनुष्य कर मूल प्रवृत्तिजन्य मनोविकार हकै,  जिनकर त्याईग करके ही मनुष्य जीवन सफल होय सकेला। प्रत्येक मनुष्य में मूल-प्रवृत्ति उग्र या शान्त रूप में अवश्य होवेला। मूल प्रवृत्तिय अपन जन्मजात अथवा प्राकृत रूप मे अत्यन्त विनाशकारी होवेना। मूल प्रवृत्ति प्रदत्त शक्ति है, जे कारण प्राणी किसी विशेष प्रकार कर पदार्थ कर बटे यानी कि ओर ध्यान देवेला आऊर उकर उपस्थिति में विशेष प्रकार कर संवेग कर अनुभूति करेला आऊर ऊ पदार्थ कर सम्बन्ध में एक विशेष प्रकार कर आचरण करेला । ई मूल प्रवृत्तिजन्य मनोविकार कर  विनाशकारी दुष्प्रभाव से इनकर शोध द्वारा बचल जाय सकेला। धर्माचरण, सदाचार, सद्व्यवहार, स्वाध्याय, योग तथा सत्संग से दुष्ट मनोविकारों कर दुष्परिणाम से मुक्त होवल जाय सकेला ।

काम

काम कर प्रवृत्ति या मनोवेग अत्यन्त प्रबल होवेला। काम कुसुम धनु सायक लीने।
 काम कर दुर्दमनीय वेग से मनुष्य बेबस आऊर पस्त होय जायेला ।

स्त्री जातो मनुष्याणां स्त्रीशां च पुरुषेषु वा।
परस्परकृतः स्नेहः काम इव्यभिधीयते।। शार्गधर-1/67

अर्थात- स्त्री में पुरुष कर आऊर पुरुष में स्त्री कर परस्पर स्वाभाविक आकर्षण आऊर स्नेह के काम कहयंना।

से हे ले स्त्री-पुरुष कर समागम से सन्तान की उत्पत्ति होवेला आऊर सृष्टि कर प्रवाह चलते रहेला।

कमोजज्ञे प्रथमो नैनं देवा आपुः पितरो न मर्त्या।

तत स्वत्वर्मास ज्यामान् विश्वहा महांस्तस्मैते ते काम नम इत्कृणोमि।। अथर्ववेद-9/2/19

अर्थात- काम सबसे पहले पैदा होलक । इके न देव जीत सकेना , न पितर आऊर न मनुष्य जीत सकेना । से ले हे काम तोयं सब प्रकार से बहुत बड हीस। एहे ले मोयन तोके नमस्कार करोना ।

श्रीमद्भागवत् गीता में लिखल है-

आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्य वैरिणः।

काम रूपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च।।

अर्थात- ज्ञान कर नाश करेक वाला ई काम ही ज्ञानी तथा मुमुक्षु यानी कि मोक्ष कर इच्छुक कर वैरी है।
कामनुराणां न भय न लज्जा
 अर्थात- कामी व्यक्ति को न भय होवेला न लज्जा।

अन्धीकरोमि भुवनं वधिरी करोमिजगत
 अर्थात- काम व्यक्ति के अन्धा व बईहरा कईर देवेला।

राजा भर्तृहरि श्रृंगार शतक कर पईहले हे श्लोक में काम कर निन्दा करते हुए लिख हैं -

हे काम! तोके बार-बार धिक्कार है।

मनुस्मृति में लिखल है-
न जातु काम कामनामुप भोगेन शाम्यति हविषा कृष्ण वर्त्येव भूय एवामि वर्धते।
 अर्थात- कामना के निरन्तर जगाएक से कामना कर शमन नी होव्व्ला। जे नीयर घी कर आहुति से अग्नि प्रचण्ड होवेला, ओहे नीयर  निरन्तर भोग विलास से काम भावना अत्यन्त प्रचण्ड होय जायेला आऊर कामी मनुष्य शक्तिहीन, अकर्मण्य आऊर निन्दनीय बईन जाएला ।

अनियंत्रित काम से व्यभिचार आऊर बलात्कार कर सृष्टि होवेला। आईझ अश्लील साहित्य, विज्ञापन, सिनेमा आऊर  टी.वी. सीरियल में प्रदर्शित उत्तेजक दृश्य, संवाद व संगीत आऊर अर्धनग्न पहनावा, तामसी भोजन व मद्यपान तीव्र कामुकता कर सृष्टि करयंना।

काम प्रवृत्ति के नियंत्रित व परिष्कृत करेक ले उकर मूल में उपस्थित प्रवृत्ति कर उपयोग सद्साहित्य, कला व सुसंगीत कर सृजन में करेक चाही। सात्विक जीवन व्यतीत करते हुए केवल सन्तानोत्पत्ति आऊर वंश वृद्धि करेक ले काम में  प्रवृत्त होवेक चाही। कठोर संयम एवं ब्रह्मचर्य कर पालन से हे काम पर विजय पावल जाय सकेला। गृहस्थ-ब्रह्मचारी भी काम पर नियंत्रण कईर सकेना । महाभारत कर आदि पर्व में युधिष्ठिर कर पूछने पर मंत्री कणिक कहयंना कि -धर्मादर्थश्च कामश्च स धर्म किन्न सेव्यते।
 अर्थात- अर्थ आऊर काम कर सिद्धि धर्म से होवेला ।

शुक्रवार, 24 मई 2019

खान्ग्रेसी न्याय

खान्ग्रेसी न्याय 






बाईच गेली ने तो खान्ग्रेस ठानिये ले रहे कि हिन्दू मन के ऊ मनक औकात तो बतायखे पड़ी। भाई , छोट- मोट काम तो खान्ग्रेस पईहले हे कईर लेय रहे, जईसे, दुई आऊर पांच रुपिया कर सिक्का में गिरजाघर कर क्रूस कर निशान। आंध्रप्रदेश में ईसाई मन के हज कर तर्ज पर अनुदान, मुसलमान मन के आरक्षण भले बाद में सर्वोच्च न्यायालय ख़ारिज कईर दे रहे। 2014 से पईहले भी मुसलमान भाई मन सच्चर पच्चर कर रिपोर्ट में तो ज्यादा इंट्रेस्टेड नी रहयं काले कि एतने हे होतक तो परिवार नियोजन आऊर शिक्षा पर खुदे ध्यान देतयं से ले ई तो भूलिए जाऊ कि देश कर 25 करोड़ मुस्लमान मन कोई सच्चर या खच्चर कर रिपोर्ट में रूचि राखबयं। यहियाँ तो खान्ग्रेसे पूरा रूचि लेत रहे आऊर पूरा जोर से देवेक ले तुलल रहे। एहे हाल जीतल में खान्ग्रेस कर एखनो रहतक । खान्ग्रेस कर वश में रहतक होले श्रीराम मन्दिर कर जगह में मस्जिद बनुवाय देतक लेकिन उकर बाप में भी एतना औकात नखे से ले इके तो भुईल जाऊ, लेकिन खान्ग्रेस इकर भी खूब हल्ला मचातक । खान्ग्रेस ई विचार कईर रहे जे दर्द मुसलमान मन 400 बरिस से ले के घुमत हैं, काले नहीं ओहे दुःख हिन्दुवो के भी दे देल जाय।





हाँ मुद्दा कर बात ई है कि ई दफे ऊ राम सेतु के तोईड़ देल जातक। हालांकि चुनाव में ई मुद्दा नी रहे लेकिन खान्ग्रेस सोचतक आऊर कह्तक कि कांग्रेस के बहुमत एहे ले तो जनता दे हे। हाँ बात करत रही कि राम सेतु के तो खान्ग्रेस कर द्वारा तोडेक जरूरी है काले कि कारण – कसाब के फांसी, अफजल के फांसी, मुसलमान मन के आरक्षण, श्री कृष्ण आयोग कर रिपोर्ट पर कार्रवाई, नानावटी रिपोर्ट पर कार्रवाई,  आंध्र में मुसलमान कर आरक्षण कर लटकल मामला, बाटला काण्ड पर कार्यवाई, सच्चर रिपोर्ट के  लागु करेक, सेना में मुसलमान मनक भर्ती, कश्मीर में स्वायतता कर मामला, गुजरात कर दंगा पीड़ित मन के  अशरफिया ( 59  हिन्दू कारसेवक कर मृत परिवार वाला मनक पता नखे के ठेंगा), असाम में बसल आऊर  बाकी देश में बसल पांच करोड़ बांग्लादेश मुसलमान में भेजेक आऊर भी अनगिनत ई नीयर काम खान्ग्रेस के करेक है नहीं तो राम सेतु के तोईड़ के बराबर करा। सौ सुनार कर आऊर एक लुहार कर। बस खान्ग्रेस के तो एहे करेक है, विकास पिकास करेक  होतक तो पिछला साठ साल में नी होय जातक। ऊ तो करेक है नहीं। लेऊ भाई हमर खान्ग्रेस तोहर मस्जिद तुड़वाय रहे हमरे इ मनक राम सेतु तुड़वाय देथी। होय गेलक मामला बराबर, होय गेलक धरमनिरपेक्षता कर रक्षा। बईन गेलक भारत एक। अरे भैया खान्ग्रेस के तो पते नी रहे कि हिंदुस्तान कर बावली जनता दुबारा से खान्ग्रेस के सरकार बनाएक कर मौका तक नी देई। आऊर आब स्थिति इसन आय जाहे कि खान्ग्रेस के आब रहल सहल राज्य सरकार के भी खोवेक पड़ी । केंद्र में तो पिछला दफे नीयर ई दफे भी विपक्ष कर कुर्सी भी नसीब नी होलक । सोनिया माइनो कर तो सारा प्लाने के ई बावली जनता चौपट कईर देलक। पांच साल में चुप चाप राहुल बाबा कर ऊ क्रिश्चन लड़की से शादी करेक रहे एतने में लोकसभा कर चुनाव आल तो राहुल बाबा धमक से प्रधान मंत्री बनतयं अब का होई । ई खान्ग्रेसी न्याय हके जे इटली से आहे। इकर बाद तैयार रहती ई पांच साल खान्ग्रेस कर सफल होय  जातक तो इन्शाल्ल्हा फिर इके सीधे वेटिकेन सिटी कर अर्न्तगत ही ले लेल जातक के बार- बार चुनाव करवाए।

बुधवार, 22 मई 2019

हे नायक

हे नायक

सादर नमस्कार, प्रणाम आऊर गणतंत्रीय बधाई आपने मन के ।

आईझ हमरे कर देश में सम्पन्न सत्रहवीं लोकसभा चुनाव कर मतगणना होवथे। इकर बाद बहुमत प्राप्त दल कर नेता के देश कर प्रधानमन्त्री पद कर शपथ लेवेक ले राष्ट्रपति महोदय द्वारा नेवता देवल जई यानी कि देश कर नायक चुनल जई। नायक -प्रधानमन्त्री मोदी जे के चौकीदार कहयंना । हमरे के देश कर अपन नायक से बहुत उम्मीद है, आशा है, आकांक्षा है । चुनल जाय वाला नायक से हमरे के बहुत कुछ उम्मीद है। उकर एक झलक -


हे नायक !


राऊरे राष्ट्र कर शरणरूप आऊर सुखदाता हई । इसन प्रयत्न करू कि राक्षस प्रकम्पित होय उठयं, शत्रु प्रकम्पित होय जाएँ। हे सेना ! राऊरे राष्ट्रभूमि कर त्वचा हकी , राष्ट्रभूमि राऊरे के जाने । हे नायक! राऊरे पहाड़ हई, बादल हई, वज्र हई, ईंधन हई, पाषाण हई, विशाल मस्तिष्क वाला हई। राष्ट्रभूमि कर त्वचारूप सेना राऊरे के जाने।


हे राजन !


हमरे राऊरे के आपन नेता चुईन ही, राष्ट्र कर नायक बनाय ही, काले कि राऊरे प्रजा के शरण आऊर सुख देवेक में समर्थ ही। जब तक राऊरे कर प्रतिद्वन्द्वी राक्षसजन आऊर शत्रु हैं, तब्र तक राष्ट्र सुखी नहीं होय सकेला । निर्दय, हत्यारा, कुटिल, स्वार्थी आदमी मन राक्षस कहलायंना , जे मन से सज्जन पुरुष के अपन रक्षा करेक पड़ेला , जे एकान्त पायके घात करयंना या फिर रात्रि काल में अपन गतिविधि करयंना , चलायंना । शत्रु ऊ हकैं जे राऊरे के पददलित कईरके राऊरे कर राईज यानी कि राज्य के हथियाएक चाहयंना। ऊ शत्रु कुछ व्यक्ति भी होय सकेना आऊर एगो बहुत बड़का संगठन या फिर शत्रु-राष्ट्र भी होय सकेना। राऊरे ऊ आततायी, आतंकवादी राक्षस और शत्रु मन कर वश में भी नी होई सकीला ।


उत्साह कर संचय कईरके ही श्रीरामभक्त हनुमान सीता कर खोज में समुद्र पार कईरके लङ्का पहुँईच जाय रहयं आऊर लक्ष्मण के पुनर्जीवित करेक ले गन्धमादन पर्वत से संजीवनी बूटी ले आय रहयं। राऊरे देवयज्ञ कर अग्नि के भी अपन अन्दर धारण करू। परमात्मदेव कर पूजा कर अग्नि, विद्वान कर सेवा-सत्कार कर अग्नि आऊर अग्निहोत्र कर अग्नि ही देवयज्ञ कर अग्नि हके । राऊरे चिन्ताग्नि के विदा कईरके उकर स्थान पर परमेश्वर कर चिन्तन कर, विद्वतजन कर सत्कार कर अतिथियज्ञ रचऊ आऊर सायं-प्रात: अग्निहोत्र कईरके वायुमण्डल के शुद्ध आऊर सुगन्धित करू।



राऊरे के आत्मीय नमस्कार हार्दिक स्वागत आऊर मांगलिक बधाई सहित निवेदन है कि आपने से हमरे के बहुत उम्मीद है, आशा है ,आकांक्षा है उके पूरा करू। परमात्मा राऊरे के स्वस्थ सबल दीर्घायु आऊर समस्त प्रकार से प्रसन्न राखयं आऊर देश के सर्वांगीण विकास कर पथ पर ले जाएक कर आऊर विधर्मी , विदेशी शत्रु दलन करेक कर शक्ति प्रदान करयं आऊर सन्मार्ग में चलेक कर प्रेरणा देवयं ।