नागपुरी कविता - देश कर सुरक्षा में भी समझौता , ई स्वार्थ कर बात हके ।
अशोक "प्रवृद्ध"
न हिन्दू कर बात हके , न मुसलमान कर बात हके ,
सीमा कर सुरक्षा पर खतरा , ई देश कर बात हके ।
कईट गेलयं ,मईर गेलयं वीर सैनिक मन सीमा पर ,
नेता मनक बयानबाजी , ई कुर्सी कर बात हके ।।
भर्ती नखयं सेना में , कोनो नेता कर बेटा ,
भेजयनां जोन माय आपन लाल के , ई जज्बात कर बात हके ।
स्वार्थी , लुच्चा, कमीना , जब से बईन गेलयं नेता ,
देश कर सुरक्षा में भी समझौता , ई स्वार्थ कर बात हके ।।
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