शनिवार, 30 नवंबर 2013

नागपुरी कविता - जोन देश कर - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - जोन देश कर
अशोक "प्रवृद्ध"
जोन देश कर सरकार इसन बदगुमान होवेला ।
ऊ देश कर इज्जत लहूलुहान होवेला।।
जोन देश कर किसान आत्महत्या कईर के मरयनां ।
ऊ देश कर रोटी भी बेईमान होवेला।।
जोन देश कर राजनीति पलेला जाइत (जाति) धरम पर ।
ऊ देश कर जनता सदा कुरबान होवेला।।
जोन देश कर सिपाही , होवैनां महरूम  इज्जत से ।
ऊ देश कर सरहद सदा सुनसान होवेला ।।
जोन देश कर हर  आदमी अनशन में बैठयनां ।
ऊ देश कर सत्ता बनल शैतान होवेला ।।

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