शनिवार, 7 दिसंबर 2013

नागपुरी कविता - बे - चारा लालू बेचारा लल्लू -अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - बे - चारा लालू
बेचारा लल्लू
अशोक "प्रवृद्ध"

विश्वास नी होवेल
इसन भी होवी
भारत कर नेता भी
आब अन्दर होवी

कतई भी धूरत होवोक
कतई भी होवोक चालू
चाहे मिश्रा  जग्गू होवोक
चाहे यादव लालू

अपराध कहाँ रहे ऊ
बस खाय रहे चारा
चोरी ऊ भी गौ माता से
लेऊ  फंईस गेलक बेचारा

चुपचाप सईह गेलक ऊ
भोली भाली माता गैय्या
चोरी करेक वाला
ग्वाले रहे भैया

दिन उलटी पईड़ गेलक तब
लालू चुनाव हारलक
सरकारी चमचा बईनके तब
मारल - मारल फिरलक

फिर तो कांग्रेस भी
झाईड़ लेलक पल्लू
लालूजी से तब
ऊ बईन गेलक लल्लू

सर्कार कर सहारे तो
ई  देश भी है बेचारा
न्यायालये है आब तो
बस एगो सहारा
बे - चारा   लालू
बेचारा लल्लू  ।

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