गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

नागपुरी कविता - मशाल जलाऊ मोमबती कर कायरता हमरे के नी चाही !! - अशोक "प्रवृद्ध"



नागपुरी कविता - मशाल जलाऊ मोमबती कर कायरता हमरे के नी चाही !!
अशोक "प्रवृद्ध"

दिल में जे आईग है धधकते रहोक अंगार बईनके !
चिंगारी भी बईन जायेला ज्वालामुखी एतना बाथा सईह के !!

मानथों आईग कर लौ कर तपन बुरा होवेला !
मगर तईप के ही हर चीज खरा होवेला !!

बिना तप के ज्ञान भी नी मिली आऊर नी मिली रोटी !
तईप के ही होलक सोना खरा बिना तपल हर चीज है खोटी !!

एहे आईग में जईल रहयं तेलंगा , बिरसा , आजाद आऊर भगत सिंह !
एहे ज्वाला में पईल रहयं तिलका , बिश्वनाथ ,बिस्मिल आऊर ऊद्धम सिंह !!

केकर - ककर नाव गिनवाओं एहे क्रांति तो शहीद मन के बनाहे !
के - के , के - के इयाईद करों एहे आईग तो सबके जलाहे !!

ई क्रांति कर आईग हके सबक छाती में जलेक चाही !
मशाल जलाऊ मोमबती कर कायरता हमरे के नी चाही !!

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