रविवार, 20 अप्रैल 2014

नागपुरी कविता - सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई - अशोक 'प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई 
अशोक 'प्रवृद्ध"


सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई 
ई सफर , केतना खतरनाक सफर है भाई ?

अदमी अदमी कर खून कर पियासल हैं हियाँ 
सब बटे फैलल कईसन जहर है भाई ?

खौफ है बूढा मन में , आऊर छऊवा मन हैं सहमल - सहमल 
पिछला दंगा कर एखन तक असर है भाई ?

फिर मसीहा मन एक धाँव हमरे के इयाईद करथयं 
फिर मसीहा मनक कुर्सी पर नजईर है भाई ?

भूख , बेकारी , तंगहाली , तबाही है गाँव में मोर 
देश खुशहाल अगर है तो कने है भाई ??

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