रविवार, 12 मई 2019

सीता नवमी कर बधाई

सीता नवमी  कर बधाई 


सीता नवमी कर शुभ पावन अवसर पर माता सीता के नित्यप्रति कर सादर नमन सहित आपने मन के सीता नवमी कर बधाई आऊर मांगलिक शुभ कामना ।

शक्तिस्वरूपा, ममतामयी, राक्षसनाशिनी, पतिव्रता आदि कई नाँव आऊर नांवे नीयर गुण से सुसज्जित रामायण कर प्रमुख पात्रा आऊर श्रीरामपत्नी माता सीता के जानकी भी कहल जायेला । उनकर पिता कर नाँव राजा जनक रहे आऊर हकीकतन सीता जनक कर गोद लेल पुत्री रहयं । मिथिला कर राजा जनक के यज्ञ करेक ले खेत जोतेक बेरा धरती से एगो कन्या प्रकट होते हुए प्राप्त होय रहे। जेके राजा जनक गोद ले लेलयं आऊर सीता नाँव राइख देलयं । जनक दुलारी होवेक से जानकी, मिथिलावासी होवेक से मिथिलेश कुमारी नाँव से भी उनके जानल जायेला । भूमि से प्रकट होवेक कर कारण इनकर एगो नाँव भूमिजा भी है। चूँकि राजा जनक कर कोई संतान नी रहयं से ले ऊ आऊर उनकर पत्नी सुनैना सीता के गोद लेलयं आऊर अपन बेटी कर रूप में पालन- पोषण करलयं । कालान्तर में एहे सीता कर व्याह भगवान श्रीराम से सम्पन्न होलक। रामायण आऊर पौराणिक ग्रन्थ तथा लोक कथा –लोकगीत मन में माता सीता कर चरित्र कर बहुत गुणगान करल जाहे आऊर आईझ भी सीता भारतीय नारी में सर्वोतम आदर्श मानल जायेंना ।
सीता अपन सभी रूप में, जैसे कि बाल्यकाल , विवाहित जीवन में पुत्री, राजकुमारी, पत्नी , पुत्रबधू , राजरानी, माता के रूप आऊर वन गमन काल तथा अंत में पति त्याग पश्चात वन्य जीवन अर्थात सम्पूर्ण जीवन में सभी काल में आदर्श व्यवहार कर परिचायक रईह हैं। से हे ले माता सीता कर जन्म दिवस अर्थात पृथ्वी पर अवतरण तिथि वैशाख शुक्ल नवमी के सीता अथवा जानकी जयंती कर रूप में सम्पूर्ण देश में बहुते उत्साह से मनाल जायेला। विवाहित स्त्री मन व्रत राईख के पति कर दीर्घायु व स्वस्थता कर कामना करयंना। ई तिथि के श्रद्धालु भक्त माता सीता कर निमित्त व्रत राखयंना आऊर उनकर पूजन करयंना। लोक मान्यता अनुसार जे भी ई दिन व्रत राखयंना आऊर श्रीराम सहित सीता कर विधि-विधान से पूजन करयंना, उके पृथ्वी दान कर फल, सोलह महान दान कर फल तथा सभी तीर्थ कर दर्शन कर फल स्वतः प्राप्त होय जायेला । एहे कारण है कि ई दिन व्रत करेक कर विशेष महत्त्व माना जायेला। लेकिन आईझ भी माता सीता कर जन्म तिथि अर्थात प्राकट्य दिवस के लेके देश में मत भिन्नता है। लेकिन ई विभिन्न पौराणिक ग्रन्थ मन में सीता प्राकट्य दिवस के ले के लिखल तिथि भिन्नता कर कारण उत्पन्न होहे ।
आमतौर में सीता जयंती वैशाख शुक्ल नवमी के मनाल जायेला, लेकिन भारत कर कुछ भाग में इके फाल्गुन कृष्ण अष्टमी के मनाल जायेला। रामायण कर अनुसार ऊ वैशाख में अवतरित होय रहयं, लेकिन निर्णयसिन्धु कल्पतरु नामक ग्रन्थ कर अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष कर अष्टमी के। एहे कारण दुईयो तिथि उनकर जयंती खातिर प्रचलित है। विशेषकर बिहार और नेपाल में ई मान्यता है कि फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष कर नवमी तिथि के सीता जी कर जन्म होय रहे। एहे ले ई दिन के सीता नवमी अथवा सीता जयंती, जानकी जयंती कर रूप में बड़ा ही उत्साह से मनाल जायेला ।

1 टिप्पणी:

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