मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

नागपुरी कविता - कखनों गैर - बेगाना के भी आपन बनाएक कर मन करेला !! -अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - कखनों गैर - बेगाना के भी आपन बनाएक कर मन करेला !! अशोक "प्रवृद्ध"खनों आपन हंसियों पर आवेला खीस आऊर गुस्सा ! कखनों सारा संसार के हंसुआयेक कर मन करेला !! कखनों लुकाय लेविला दुःख - गम के कोनों कोना में ! कखनों केखो सब कुछ सुनायेक कर मन करेला !! कखनों मन कान्देला नहीं कोनों कीमत पर भी ! कखनों ईसने लोर बहायेक कर मन करेला !! कखनों बेस लागेला आजाद रहेक , आजाद उड़ेक ! कखनों कोनों बंधन में बईंन्ध जायेक कर मन करेला !! कखनों लागयनां आपन भी गैर - बेगाना नीयर ! कखनों गैर - बेगाना के भी आपन बनाएक कर मन करेला !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें