मंगलवार, 15 अप्रैल 2014

नागपुरी कविता - का कहब बड़ा खराब जुग (जमाना) आय गेलक - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - का कहब बड़ा खराब जुग (जमाना) आय गेलक 
अशोक "प्रवृद्ध"

का कहब बड़ा खराब जुग (जमाना) आय गेलक 
बैसाखी लगायके चले वाला 
देवथयं भाषण 
कि कैसे आपन गोड़ (पैर) में 
खड़ा होवल जाएला !

दोसर कर टांग खींचके 
आगे बढे वाला
बताथयं कि
राऊरे कर आचरण कईसन होवेक चाही !

दोसर कर खंधा (कंधा) के
सीढ़ी बनायके उपरे उठे वाला
उपदेश देवथयं कि
कैसे आसमान कर बुलंदी के छुवल जाये !

बात - बात पर
थूईक के चाटे वाला
वचन निभायेक कर
वादा करथयं !

दोसर कर गोड़ के पूजा कईरके
पद पावे वाला
आब पद कर मर्यादा कर
महत्व समझाथयं !

जुग बदलेला
जुग बदली
ई तो जानीला हमरे
लेकिन एतना आऊर ईसन बदली
ईसन कहाँ सोईच रही
ईसन कहाँ केऊ कईह रहे

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