नागपुरी कविता - सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई
अशोक 'प्रवृद्ध"
सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई
ई सफर , केतना खतरनाक सफर है भाई ?
अदमी अदमी कर खून कर पियासल हैं हियाँ
सब बटे फैलल कईसन जहर है भाई ?
खौफ है बूढा मन में , आऊर छऊवा मन हैं सहमल - सहमल
पिछला दंगा कर एखन तक असर है भाई ?
फिर मसीहा मन एक धाँव हमरे के इयाईद करथयं
फिर मसीहा मनक कुर्सी पर नजईर है भाई ?
भूख , बेकारी , तंगहाली , तबाही है गाँव में मोर
देश खुशहाल अगर है तो कने है भाई ??
अशोक 'प्रवृद्ध"
सब केऊ के हियाँ लूईट जायेक कर डर है भाई
ई सफर , केतना खतरनाक सफर है भाई ?
अदमी अदमी कर खून कर पियासल हैं हियाँ
सब बटे फैलल कईसन जहर है भाई ?
खौफ है बूढा मन में , आऊर छऊवा मन हैं सहमल - सहमल
पिछला दंगा कर एखन तक असर है भाई ?
फिर मसीहा मन एक धाँव हमरे के इयाईद करथयं
फिर मसीहा मनक कुर्सी पर नजईर है भाई ?
भूख , बेकारी , तंगहाली , तबाही है गाँव में मोर
देश खुशहाल अगर है तो कने है भाई ??
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