नागपुरिया कविता -घर आपने घर होवेला
अशोक "प्रवृद्ध"
घर आपने घर होवेला
ऊसन कहाँ कने होवेला ?
शुद्ध हवा पानी मिल जाई
ईसन कहाँ शहर होवेला !
लाखों धाँव धोय के देईख लेऊ
फिर भी जहर जहर होवेला !
चापलूस आऊर मक्कार मनक
अक्सर आवाज मीठा होवेला !
भगवन जे के बने होवी
ओहे कन्या करवर होवेला !!
अशोक "प्रवृद्ध"
घर आपने घर होवेला
ऊसन कहाँ कने होवेला ?
शुद्ध हवा पानी मिल जाई
ईसन कहाँ शहर होवेला !
लाखों धाँव धोय के देईख लेऊ
फिर भी जहर जहर होवेला !
चापलूस आऊर मक्कार मनक
अक्सर आवाज मीठा होवेला !
भगवन जे के बने होवी
ओहे कन्या करवर होवेला !!
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