नागपुरी कविता - मशाल जलाऊ मोमबती कर कायरता हमरे के नी चाही !!
अशोक "प्रवृद्ध"
दिल में जे आईग है धधकते रहोक अंगार बईनके !
चिंगारी भी बईन जायेला ज्वालामुखी एतना बाथा सईह के !!
मानथों आईग कर लौ कर तपन बुरा होवेला !
मगर तईप के ही हर चीज खरा होवेला !!
बिना तप के ज्ञान भी नी मिली आऊर नी मिली रोटी !
तईप के ही होलक सोना खरा बिना तपल हर चीज है खोटी !!
एहे आईग में जईल रहयं तेलंगा , बिरसा , आजाद आऊर भगत सिंह !
एहे ज्वाला में पईल रहयं तिलका , बिश्वनाथ ,बिस्मिल आऊर ऊद्धम सिंह !!
केकर - ककर नाव गिनवाओं एहे क्रांति तो शहीद मन के बनाहे !
के - के , के - के इयाईद करों एहे आईग तो सबके जलाहे !!
ई क्रांति कर आईग हके सबक छाती में जलेक चाही !
मशाल जलाऊ मोमबती कर कायरता हमरे के नी चाही !!
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