रविवार, 16 मार्च 2014

क्षमा करब ! माफ करब !! झूठ नी कह्थों !!!- अशोक "प्रवृद्ध"

होली कर शुभ कामना आउर बधाई 


शुभ होलिका दहन आउर होली  !
होलिका दहन कर मंगल कामना आउर बधाई  !!
शुभ होलिका दहन 

क्षमा करब ! माफ करब !! झूठ नी कह्थों !!!
अशोक "प्रवृद्ध"


ई गरीब ठीना आपने (राउरे) मन के,
 होली कर हार्दिक शुभ कामना देवेक सिवा 
आउर कोनों सन्देश नखे !
क्षमा करब ! 
माफ करब !!
झूठ नी कह्थों !!!

आपने मन संघे बांटेक ले तैयार कईरके 
राखल मोर सब धन - असबाब 
सब लूटाय गेलक !!
सब कुछ मिट गेलक !!!
क्षमा करब ! 
माफ करब !!
झूठ नी कह्थों !!!

बहुते सामान (सामग्री) तैयार कईरके राखल रहे , 
मगर किस्मत में नी रहे ,
से ले ढंग से सम्हरायके राखल नी रहे ,
मोर आपन गलती से
सब लूटाय गेलक !
सब कुछ मिट गेलक !!!
क्षमा करब ! 
माफ करब !!
झूठ नी कह्थों !!!


के के कहों ई दुःख कर बात 
ई दुःख कर घड़ी में केऊ नखयं साथ ?
किस्मत कर देखू मार केऊ नखयं पूछत 
 प्रवृद्ध कैसे होय गेले तोयं अनाथ ??
तोर सब कैसे लूटाय गेलक ???
का तरी सब कुछ मिट गेलक ????
क्षमा करब ! 
माफ करब !!
झूठ नी कह्थों !!!

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