शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

नागपुरी कहनी - आस्था - अशोक "प्रवृद्ध"

                  नागपुरी कहनी - आस्था
                    अशोक "प्रवृद्ध"


विनोद बाबू घोर एकेश्वरवादी यानी ईश्वर एक हय कर समर्थक  हयं । ईश्वर कर अवतारवाद आउर मूर्ति पूजा में उनकर तनिको (कतई) विश्वास नखे। ऊ सिर्फ परमेश्वर कर  सर्वोत्तम नाम ॐ में विश्वास करयना आउर ॐ छोइड के ऊनके ईश्वर कर कोनो आउर रूप अथवा अवतार में विश्वास नी करयनां। एक दिन एगो काम से उनकर घर पहुंचलों तो का देखथों कि हुवां सत्यनारायण स्वामी कर मूर्ति राखल हय आउर सत्यनारायण स्वामी कर कथा होवथे । विनोद बाबू आपन पत्नी कर साथ बईठके सत्यनारायण स्वामी कर कथा कर श्रवण करत हयं । कथा कर बाद में हवन आउर आरती में भी उनकर उत्साह आउर समर्पण -भाव देखतेहें बनत रहे।

           कथा ख़तम होवेक कर बाद मोयं उनकर से पूईछ लेलों -  ''राउरे तो एकेश्वरवादी हई आउर मूर्ति पूजा कर विरोधी ?''

' हाँ '' कईह के ऊ उत्तर देलयं ।

मोयं पूछलों - ''एखन तनी देरी पईहले जे मोयं देखलों ऊ का रहे ?''

विनोद बाबु समझालयं  '' मोर ईश्वर में आस्था नखे तो का होलक ? आपन पत्नी में तो आस्था हय । उकर से प्रेम हय। का हमरे आपन सगा - सम्बन्धी आउर आदमी मन कर की ख़ुशी ले (खातिर) ऊ नीं कईर सकीला जे उ मनके अच्छा लागी ?''                  

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