बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

नागपुरी कहनी - नवरात्रि - अशोक "प्रवृद्ध"

  
                          नागपुरी कहनी - नवरात्रि
                             अशोक "प्रवृद्ध"

इलाका कर गंझु साहेब बाजार से निकलत रहयं ,  अचानक उनकर से  करीनाबाई टकरालक।
देखतेहें करीना बाई कहलक ‘कैसन हयं आपने गंझु साहेब ?
करीनाबाई ! मोयं ठीक हों।’
‘एगो नावां (नया)छोंडी़ (कन्या) मतबल नावां माल आहे कोठा में...आवब गंझु साहेब ’
‘नहीं करीनाबाई ! एखन तो नवरात्रि चलथे नी...एखन कन्या के हाथ लगाएक मना है।’
चाईर दिन बाद गंझू साहेब करीना बाई कर कोठा में रहयं ।
‘अरे लान ...करीनाबाई , नावां माल कने है?’
'गंझु साहेब ! आब का हाथ लगाब कन्या के ?’
‘आब तो सब कुछ लगाय लेबूं , नवरात्रि जे ख़त्म होय गेलक। जा जल्दी लेके माल लान। हाथ साफ करथों ।

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