शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

घासीराम का एक दुर्लभ छंद (नागपुरी कविता)

घासीराम का एक दुर्लभ छंद
(नागपुरी कविता)

कारे कजरारे सटकारे घुँघवारे प्यारे ,
मणि फणि वारे भोर फबन लौँ ऊटे हैँ ।
बासे हैँ फुलेल ते नरम मखतूल ऎसे ,
दीरघ दराज ब्याल ब्यालिन लौं झूठे हैँ ।
घासीराम चारु चौंर जमुना सिवार बोरोँ ,
ऎसी स्याम्ताई पै गगन घन लूटे हैँ ।
छाई जैहै तिमिर बिहाय रैनि आय जैहै ,
झारि बाँध अजहूँ सभाँर वार छूटे हैँ ।

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