नागपुरी प्रार्थना - धरती वंदना
अशोक "प्रवृद्ध"
मोंय बंदत हौं दिन-रात वो ,मोर धरती मईया,
जय होवोक तोर, मोर छईयां ,भुइंया जय होवोक तोर ।
राजा-परजा ,देवी-देवता तोर कोरा में आवैन,
जईसन सेवा करेन तोर उ मन तईसन फल पावैन।
तोर महिमा कतई बखान करोन ओ मोर धरती मईया ,
जय होवोक तोर , मोर छईयां भुइयां , जय होवोक तोर !
अर्थात -हे धरती माता !
मै दिन-रात तेरी वन्दना करता हूँ ।
हे मुझे शीतल छाया देने वाली भूमि !
तेरी जय हो !
राजा-प्रजा , देवी-देवता , तेरी गोद में
आए और जैसी सेवा की , वैसा ही फल पाया . हे धरती माता !
तेरी महिमा का मैं कितना बखान करूं !
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