शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

नागपुरी रचना- नवरात्रि कर वैज्ञानिक -आध्यात्मिक अवधारणा -अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी रचना - नवरात्रि कर वैज्ञानिक -आध्यात्मिक अवधारणा
             अशोक "प्रवृद्ध"

हिन्दू पंचांग कर आश्विन माह कर नवरात्रि के शारदीय नवरात्रि कहयनां । पावन नवरात्रि कर इ काल आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से लेके नवमी तिथि तक कर होवेला । विज्ञान कर दृष्टि से शारदीय नवरात्र में शरद ऋतु में दिन छोट होवे लागेला आउर राइत बड़। हुवें चैइत महीना कर चैत्र नवरात्र में दिन बड़ होवे लागेला आउर राइत घटेला माने छोट होवे लागेला। ऋतुं कर परिवर्तन काल कर असर मानव जीवन पर ना पडो़क , सेले साधना कर बहाने हमरे मनक ऋषि-मुनि मन इ नव्रात्रि क्र नौ दिन में उपवास कर विधान कईर हयं।शाइन्त (संभवत:) इले कि ऋतु कर बदलाव कर इ समय (काल) में मनुष्य खान-पान कर संयम आउर श्रेष्ठ आध्यात्मिक चिंतन कईर के स्वयं के , अपने - आप के भीतरे से स्वस्थ ,सबल (मजबूत) बनाएक पावी (सकी), ताकि मौसम कर बदलाव कर असर हमरे मन पर ना पड़े। सेहेले इके शक्ति कर आराधना कर पर्व भी कहल जाहे। येहे कारण है कि भिन्न - भिन्न नव (नौ) गो स्वरूप में इ अवधि में जगत जननी कर आराधना-उपासना करल जायेला (जाएला) । नवरात्रि पर्व कर समय में प्राकृतिक सौंदर्य भी बइढ़ जाएला। इसन लागेला कि जैसे ईश्वर कर साक्षात् रूप येहे हके । प्राकृतिक सुंदरता कर साथे-साथ वातावरण सुखद होय जाएला। आश्विन मास में मौसम में न अधिक ठंडा रहेला आउर न अधिक गर्मी। प्रकृति कर इ रूप सब कर मन के उत्साहित कईर देवेला । जेकर से नवरात्रि कर  समय शक्ति साधक मनक ले आउर अनुकूल होय जाएला। तब नियमपूर्वक साधना आउर अनुष्ठान करयनां । व्रत-उपवास, हवन आउर नियम-संयम से उमनक शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक शक्ति जाईग जाएला । जे उ मनके ऊर्जावान बनायनां । इ काल में लौकिक उत्सव कर साथे - साथ प्राकृतिक रूप से ऋतु परिवर्तन होवेला । शरद ऋतु कर शुरुआत होवेला , बारिश कर मौसम बिदा होवे लागेला । इ कारण से बनल सुखद वातावरण इ संदेश देवेला कि जीवन कर संघर्ष आउर बीतल समय कर  असफलता मन के पीछें छोईड़ के मानसिक रूप से सशक्त प्रवृद्ध आउरं ऊर्जावान बईनके नावा आशा आउर उम्मीद कर साथ आगे बढ़ब।
जय माँ अम्बे ।
राउरे मन के शुभ नवरात्रि ।
रचनाकार - अशोक "प्रवृद्ध" 

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