बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

नागपुरी कविता - गरीब कर पेट - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - गरीब कर पेट

गरीब कर पेट
एगो  मशीन हके
जे एक दिन कर खाना से भी
चलाय लेवेला दू -  चाइर दिन तक काम।

जब सब वैज्ञानिक
व्यस्त हैं
अपन - अपन प्रयोग में
कि कैसे ऊर्जा कर खपत कम होवी
तब एगो गरीब
सहस्राब्दी कर नोबेल पुरस्कार जीत लेवेला
कालेकि अपन जीवन में ऊ
एक तिहाई या आधा
ऊर्जा बचायके राखेला
बिना कोनो खर्चा के।

आउर इ कोनो नावा बात नखे
इ तो हजारों साल
से होते आवथे

तब भी
वैज्ञानिक मन
व्यस्त हैं
ऊर्जा कर बचत कर चक्कर में।

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