गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

नागपुरी कविता - असरा तो है

नागपुरी कविता - असरा तो हय

असरा तो हय
जिनगी भेलक महा कठिन
डहर  बहुत कठिन है तेउ
मंजिल कर असरा तो हय!

मन मरू देशक मृग होलक
मरीचिका हय छलजल हय
सुखल हय कंठ ओठ सब
तरसत जिउ तरासल हय

हय तातल तवा गोड़तर
कहीं नीर कर पातर कुन
धरा कर असरा तो हय!

गरज घुमड़ छने छने हय
ठनका संगे लवका हय
संका हय बहेक-दहेक
घोर विपदा कर अवधा हय

नदी में हय बाढ़ आवल
दह भंवर बेगो हय तेउ
डोंगा कर असरा तो हय!

राइत हय पाला छेछत
ठिठुरत जीउ जहान हय
रोका पोरा तर  लुकाल
अनदाता कर प्राण हय

मुर्गा बोलत उठिहें सब
मन भर तापिहें आइग
पसंगी कर असरा तो हय !

दिल में डबकत हय उनकर
अजब खिसाल समुन्दर अब
धूसर हय  मनकर आकाश
छायक उठी बवंडर अब

जिनगीक चिनगी हय राखतर
फूस-फूस,भुस-भुस , धुंगा हय
ज्वाला कर असरा तो हय!

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