रविवार, 6 अक्तूबर 2013

नागपुरी कविता - ईश्वर तोके है धिक्कार ! - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी कविता - ईश्वर तोके है धिक्कार !
               अशोक "प्रवृद्ध"

निर्मल  हृदय कर प्रार्थना
निष्कपट मन कर भावना
कोनो    नखे  सम्भावना
फिर   भी तोर साधना
  करथे ई  संसार !
ईश्वर  तोके है धिक्कार !

ई चीख कईसन आईज सुन
तनिक   ई आवाज सुन
ले  सुनाथे,   राज  सुन
तोरे हके ई व्यापार  !
ईश्वर  तोके है धिक्कार !

कहीं  तंत्र है, कहीं है मंत्र
चमचा  तोर है  स्वतंत्र 
का खूब ! है ई षडयंत्र
हर  जगह है अत्याचार  !
ईश्वर  तोके है धिक्कार  !

है   एगो मोरो  चाहना
होवी  अगर  मोरसे  सामना
एगो  सवाल है मोके पूछना
का दिल में है तोर प्यार
ईश्वर तोके है धिक्कार  !

रचनाकार - अशोक "प्रवृद्ध"

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