नागपुरी कविता - ईश्वर तोके है धिक्कार !
अशोक "प्रवृद्ध"
निर्मल हृदय कर प्रार्थना
निष्कपट मन कर भावना
कोनो नखे सम्भावना
फिर भी तोर साधना
करथे ई संसार !
ईश्वर तोके है धिक्कार !
ई चीख कईसन आईज सुन
तनिक ई आवाज सुन
ले सुनाथे, राज सुन
तोरे हके ई व्यापार !
ईश्वर तोके है धिक्कार !
कहीं तंत्र है, कहीं है मंत्र
चमचा तोर है स्वतंत्र
का खूब ! है ई षडयंत्र
हर जगह है अत्याचार !
ईश्वर तोके है धिक्कार !
है एगो मोरो चाहना
होवी अगर मोरसे सामना
एगो सवाल है मोके पूछना
का दिल में है तोर प्यार
ईश्वर तोके है धिक्कार !
रचनाकार - अशोक "प्रवृद्ध"
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