रविवार, 6 अक्तूबर 2013

नागपुरी रचना - चौरासी लाख योनि (प्रजाति) - अशोक "प्रवृद्ध"

नागपुरी रचना - चौरासी लाख योनि (प्रजाति)
                अशोक "प्रवृद्ध"

राउरे मन आपन परिवार कर बड़ - बुजुर्ग मनक मुंह से तो ई जरूरे सईन  होवब कि -
"84 लाख योनि में जनम लेवेक बादे ई मनुष्य जन्म प्राप्त होवेला ,  सेले मनुष्य के जीवन में उचित कर्म करेक चाही ।"

भारतीय पुरातन ग्रन्थ मन भी बड़ -बुजुर्ग मनक ई बात कर समर्थन करयनां। पदम् पुराण में एगो श्लोक मिलेला , ऊ श्लोक कर अनुसार ई प्रथ्वी में एककोशिकीय, बहुकोशिकीय, थल चर, जल चर तथा नभ चर आदि कोटि (प्रजाति) कर जीव मिलेना। इ मनक न केवल संख्या बल्कि (अपितु) वर्गीकरण कर जानकारी भी हमरे के पद्म पुराण में लिखल मिलेला ।

जलज नव लक्षाणी, स्थावर लक्ष विम्शति, कृमयो रूद्र संख्यकः ।
पक्षिणाम दश लक्षणं, त्रिन्शल लक्षानी पशवः, चतुर लक्षाणी मानवः ।।


जलज/ जलीय जिव/जलचर (Water based life forms) – 9 लाख (0.9 million)
स्थिर अर्थात पेड़ पोधे (Immobile implying plants and trees) – 20 लाख (2.0 million)
सरीसृप/कृमी/कीड़े-मकोड़े (Reptiles) – 11 लाख (1.1 million)
पक्षी/नभचर (Birds) – 10 लाख 1.0 million
स्थलीय/थलचर (terrestrial animals) – 30 लाख (3.0 million)
मानवीय नस्ल के (human-like animals) – 4 लाख 0.4 million
कुल = 84 लाख ।

ई मईधका (प्रकार) से हमरे के 7000 वर्ष पुराना पद्म पुराण कर मात्र एके गो श्लोक में न केवल पृथ्वी में मौजूद माने कि  उपस्थित प्रजाति मनक संख्या मिल जायेला बल्कि उ मनक वर्गीकरण भी मिलेला ।

आब देखू आधुनिक विज्ञान कर मत -

आधुनिक जीवविज्ञानी मन आईज तक मात्र (लगभग) 13 लाख (1.3 million) पृथ्वी पर उपस्थित जीव तथा प्रजाति मनक नाव (नाम) पता लगायेक पाईर हयं आउर उ मनक  कहेक  है कि एखनो हमरे कर आंकलन जारी है इसन लाखों प्रजाति मनक खोज, नाम आउर अध्याय एखन बाचल (शेष) हैं , जे धरती में उपस्थित आहयं (है) । एक अनुमान कर आधार पर हर साल (प्रतिवर्ष) लगभग 15000 नावा (नयी) प्रजाति  सामने आवथे।
आश्चर्य कर बात हके कि आधुनिक जीव वैज्ञानिक मन एखन तक आपन हाड़ - तोड़ मेहनत से करीब (लगभग) पिछला 200 साल में मात्र 13 लाख कर करीब प्रजाति कर खोज करेक पाईर हयं । आउर हमरे मनक पूर्वज मन एखन से हजारों - लाखों बरीस पईहले चौरासी लाख योनि (प्रजाति) कर बारे में बखूबी जानत रहयं लेकिन आधुनिक वैज्ञानिक मन ई बात के स्वीकार करेक ले लजायनां। लाखों बरीस ई ले कहथों कि जीव मनक प्रजाति कर बारे में आदि सनातन ज्ञान कर भंडार वेद में भी वर्णन मिलेला। ईकर से साफ़ पत्ता चलेला कि पुरातन भारतवर्ष में हमरे कर पूर्वज मन कतना दूर कर ज्ञ्यान प्राप्त कईर रहयं जेके हमरे मन आपन नादानी से भूलाय गेली आउर अंग्रेज मनक अधूरा ज्ञान कर पीछे दौड़ेक लाईगही।

1 टिप्पणी:

  1. धरम कर बात । ऊ भी सनातन धरम कर बात नागपुरिया में। वाह ! ई आपने हें नीयर कय भाषा कर जानकार व्यक्ति कर वश कर बात हके। बदिया बड़ा बेस।

    जवाब देंहटाएं