शनिवार, 5 अक्तूबर 2013

नागपुरी कविता - होय गेलक भोर

नागपुरी कविता
होय गेलक भोर

होय गेलक भोर
चरैई चुनगुन
कराथैंय शोर
उठू किसान
जागू जवान
लगाऊ अपन जोर
खेती बारी करू
पुरजोर
होय गेलक भोर
चरैई चुनगुन
कराथैंय शोर
खेत में बनल
रही हरियाली
तब घर में रही खुशयाली
चरैई चुनगुन
कराथैंय शोर
होय गेलक भोर
छउवा-पूता सबै जागा
पढेक लिखेक
स्कूल जावा
पईढ लिख के
बाना होसियार
पावा नोकरी
और रोजगार
चरैई चुनगुन
खूब करू मेहनइत
धरती उगली सोना
भरल रही अन्न से
घर केर कोना-कोना
चरैई चुनगुन
कराथैंय शोर
होय गेलक भोर,
होय गेलक भोर.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें